गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा दो के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि फरीदाबाद से एक और दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। फरीदाबाद के एक सरकारी स्कूल के छात्र के साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या का मामला सामने आया है।
लेफ्ट का गढ़ माने जाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रसंघ चुनाव में वामपंथी छात्र संगठनों का दबदबा कायम है। सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर वाम गठबंधन की जीत हुई। एबीवीपी दूसरे स्थान पर रही है जबकि बापसा जेएनयू में बड़ी ताकत बनकर उभरा।
जेएनयू में वामपंथ को न मानने वालों के बीच एक ज़ुमला खासा मशहूर है कि देश भर के लेफ्टिस्टों को एक पिंजरे में बंद करने के लिए इंदिरा गाँधी ने जेएनयू बनाया। जेएनयू ही वो जगह है जहाँ (1969 से 2016 तक एक उदाहरण को छोड़कर जब 2001 में एबीवीपी के संदीप महापात्र कुछ वोटों से जीत गए थे) चुनाव दर चुनाव वामपंथ अपना किला सलामत रख सका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘असहिष्णुता के सबसे बड़े पीड़ित’ कहने वाले बृज बिहारी कुमार तो याद ही होंगे। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईएसएसआर) के मुखिया बृज बिहारी कुमार का कहना है कि अब पाठ्य पुस्तकें शिक्षा देने के बजाय जेएनयू जैसे एक्टिविस्ट बनाने के लिए लिखी जा रही हैं।