लंदन के मेयर के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार ने लेबर पार्टी के अपने पाकिस्तानी मूल के प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ ब्रिटिश-भारतीय मतदाताओं को लामबंद करने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का सहारा ले रहे हैं।
ऐसा लगता है हैदराबाद यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के बाद केंद्र सरकार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) पर नकेल कसने की तैयारी में है। लेकिन एएमयू पर उसका पहला दांव ही खाली गया जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एएमयू की कार्यकारी परिषद की एक सीट के लिए इंडिया टीवी के सीईओ रजत शर्मा और विजनन भारती के प्रमुख विजय पी. भटकार के नाम वाली फाइल वापस कर दी। राष्ट्रपति कार्यालय से कुछ और नामों पर विचार करने की सलाह दी गई है।
पांच नामांकनों और 23 साल बाद लियोनार्ड डीकैप्रियो ने आखिरकार ऑस्कर का खालीपन तोड़ते हुए द रेवेनैंट में भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार अपने नाम कर लिया।
दिल्ली की जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का नाम बदलकर सुभाष चन्द्र बोस यूनिवर्सिटी रखने की मांग करते हुये भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने शनिवार को आरोप लगाया कि वह ऐसे लोगों का अड्डा बनता जा रही है जो देश के खिलाफ साजिश में शामिल है।
अपनी सजा पूरी कर जेल से रिहा हुए बाॅलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने कहा कि वह आतंकवादी नहीं हैं और 1993 के मुंबई विस्फोटों के मामले में दोषी ठहराए जाने की कड़वी यादों को पीछे छोड़ देना चाहते हैं। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह आतंकी नहीं हैं और उनके नाम के साथ मुंबई ब्लास्ट को न जोड़ा जाए।
दिल्ली पुलिस आयुक्त भीम सैन बस्सी केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद के दावेदारों में शामिल हैं। पद के लिए तीन लोगों का नाम अंतिम रुप से चुना गया है जिनमें बस्सी का नाम भी शामिल है।
जेडीयू ने 2012 और 2015 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक द्वारा 1.14 लाख करोड़ रूपये के फंसे हुए कर्ज पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार से उन कारोबारी घरानों का नाम बताने को कहा जिसके फंसे हुए कर्ज को माफ किया गया।
दिग्गज सर्ज इंजन गूगल ने सन्मय वेद को आठ लाख रुपये का भुगतान किया है। सन्मय वेद एक मिनट के लिए गूगल डाॅट काॅम डोमेन नाम के मालिक बन गए थे। हालांकि सन्मय ने भुगतान की पूर्ण राशि दान कर दी है।
फरवरी 2014 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने वाले हरीश रावत राज्य के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते हैं। लंबे समय के राजनीतिक जीवन में रावत ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बनने के बाद माना जा रहा था कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो रावत को कमान मिल सकती है। लेकिन सियासी कारणों सेे रावत को देर से राज्य की कमान मिली। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जब सरकार बनी तो विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद दिया गया। उस समय रावत केंद्र सरकार में मंत्री थे। विजय बहुगुणा को बीच कार्यकाल से ही हटाकर हरीश रावत को राज्य की कमान दी गई। दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हरीश रावत से विभिन्न मुद्दों पर आउटलुक के विशेष संवाददाता ने देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-