दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामले में दायर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख निर्धारित की।
देशभर के आंदोलनकारी संगठनों ने मिलकर एक नया फोरम बनाया है। फोरम का नाम ऑल इंडिया पीपल्स फोरम (एआइपीएफ) रखा गया है। इस फोरम का मुख्य मकसद साम्प्रदायिकता और कॉरपोरेट समर्थक सरकारी नीतियों का विरोध करना है।
संगकारा ने अपने करिअर का 23वां और सबसे तेज शतक लगाया। उन्होंने अपनी पारी में 86 गेंदें खेलीं तथा 11 चौके और दो छक्के लगाए। संगकारा ने 70 गेंदों में शतक पूरा किया जो श्रीलंका की तरफ से विश्व कप में सबसे तेज शतक भी है। दूसरी तरफ 25 वर्षीय तिरिमाने इस टूर्नामेंट में सैकड़ा जड़ने वाले सबसे कम उम्र के श्रीलंकाई बल्लेबाज बने। उन्होंने 143 गेंदें खेलीं तथा 13 चौके और दो छक्के लगाए।
बिहार में सत्ता का संघर्ष और तेज हो गया है। एक तरफ जनता दल यूनाइटेड से निकाले गए मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने का दावा ठोक दिया है।
पंजाब में कांग्रेस पार्टी फूट से नहीं उबर पा रही है। अमृतसर से सांसद और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा की फूट जगजाहिर है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों के अंतिम दौर में आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच शीर्ष नेतृत्व से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं तक में बढ़त हासिल करने की होड़ लगी हुई है।
क्या कारण है कि जिस आडवाणी ने पहली बार जनसंघ का अध्यक्ष बनने पर 1973 में एक झटके में बलराज मधोक जैसी मजबूत शख्सियत को पार्टी से जड़ से उखाड़ फेंका, 1974 में जयप्रकाश आंदोलन के उड़ते तीर को पार्टी के लिए पकड़ बाद की इमरजेंसी के प्लावन मं सांप्रदायिकता की अस्पृश्यता धोने में गजब की फुर्ती दिखाई, संघ परिवार के संगठनों द्वारा आजादी के वक्त से ईंट-बैठाकर सुलगाए जा रहे बाबरी-मस्जिद रामजन्म भूमि के मसले को गरमाने के अवसरवादी क्षण को 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार के संकट में अचूक पहचाना, 1996 में भाजपा की सत्ता के लिए अन्य दलों के साथ जरूरी गठजोड़ बनाने के वास्ते खुद पीछे हटकर वाजपेयी को आगे करने की उस्तादी दिखाई, आज वही अपने नेतृत्व में न सहयोगी गठबंधन को उत्साहित कर पाए न अपनी पार्टी की दूसरी प्रांत के नेताओं को?