चर्चाः वायदों और दावों का क्या | आलोक मेहता
‘कसमें, वादे, प्यार, वफा-सब बातें हैं बातों का क्या?’ यह फिल्मी गाना पुराना हो गया। लेकिन इन दिनों जिस इलाके में जाएं, लोग सरकारों के वायदों और दावों के साथ इसी तरह के सवाल उठा रहे हैं। संसद के बजट-सत्र के उद्घाटन अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भारत सरकार की ‘सफलताओं का लेखा-जोखा’ आधारित भाषण पढ़ दिया।