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Search Result : "दादरी"

गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गायें फिर से पशु हो जाना चाहती हैं !

गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्ष ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब कोई नहीं सुनता है कि किसी जमाने में गौमेध यज्ञ भी हुआ करते थे। अब जब गाय को पवित्र मान कर उसे मां का दर्जा दे ही दिया गया है और उसे आस्था की वस्तु बनाकर आलोचना से परे रख दिया गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाईश रही ही कहां है। अब तो ‘वन्दे धेनुमातरम‘ और ‘जय गोमाता‘ कहो, गोकथा कराओ, गोदूध महोत्सव मनाओ, गोशाला चलाओ, गोमंदिर बनाओ, गोकुल धाम निर्मित करो और गोअनुसंधान एवं गोरक्षा के नाम पर तरह-तरह के संगठन और सेनाएं बनाकर जमकर हंगामा मचाओ। आज गाय के नाम पर सब कुछ जायज है क्योंकि गाय हमारी माता है, गाय की रक्षा करना हमारा धर्म है, यह पुण्य का काम है।
लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

पिछले कुछ हफ्तों में लेखकों वैज्ञानिकों और कलाकारों के सम्मान लौटाने की बाढ़ देखी गई। पुरस्कार लौटाने के जरिये ये सम्मानित और पुरस्कृत लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए खड़े हुए हैं। बढ़ती असहिष्णुता और हमारे बहुलतावादी मूल्यों पर हो रहे हमलों पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए इन शिक्षाविदों, इतिहासकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के कई बयान भी आए हैं। जिन्होंने अपना पुरस्कार लौटाया है वे सभी साहित्य, कला, फिल्म निर्माण और विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों में से हैं। इस तरह सम्मान लौटाकर उन सभी लोगों ने सामाजिक स्तर पर हो रही घटनाओं पर अपने दिल का दर्द बयान किया है।
असहिष्णुता पर बोले रघुराम राजन, परस्पर सम्मान जरूरी

असहिष्णुता पर बोले रघुराम राजन, परस्पर सम्मान जरूरी

देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चल रही बहस को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि विचारों के लिए माहौल बेहतर बनाने के वास्ते सहिष्णुता तथा परस्पर सम्मान जरूरी है और किसी समूह विशेष को शारीरिक क्षति पहुंचाने या अपमानजनक शब्द कहने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
इन छह चीजों ने तय की बिहार चुनाव की तस्‍वीर

इन छह चीजों ने तय की बिहार चुनाव की तस्‍वीर

चुनाव अपने यहां सचमुच उत्सव हैं। चुनाव लड़ने-लड़ाने वालों को छोड़कर सभी इसको इंज्वॉय करते हैं। और बिहार चुनाव तो उत्सवों के समय ही होते रहे हैं। बिहार का आदमी थोड़ा हटकर होता है। उसे अमेरिकी चुनाव की भी अंदरुनी जानकारी होती है तो यह कैसे कह सकते हैं कि बिहार में हो रहे चुनाव के अंदर की खबरें उसके पास नहीं होंगी।
दादरी घटना के लिए सपा सरकार जवाबदेह: अमित शाह

दादरी घटना के लिए सपा सरकार जवाबदेह: अमित शाह

गोमांस विवाद पर भाजपा के बचाव की मुद्रा में आने और बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ लेखकों के विरोध के बीच पार्टी प्रमुख अमित शाह ने आज पटना में कहा कि उन राज्यों में हुई घटनाओं के लिए भाजपा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता जहां अन्य पार्टियां सत्ता में हैं।
दादरी, गुलाम अली की घटना दुखद, मगर केंद्र की क्‍या भूमिका: मोदी

दादरी, गुलाम अली की घटना दुखद, मगर केंद्र की क्‍या भूमिका: मोदी

दादरी हत्‍याकांड पर अपनी चुप्‍पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना को दुखद बताया है। लेकिन साथ ही सवाल उठाया कि इसमें केंद्र की क्‍या भूमिका है? उन्‍होंने विपक्ष पर धुव्रीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
‘रोटी कमाने वाले कायम रहें’

‘रोटी कमाने वाले कायम रहें’

जिसे जिसका मांस खाना हो खाए, कोई गाय को माता माने या न माने, कोई बार-बार विदेश जाकर भारत की जैसी मर्जी महिमा मंडन करे, कोई किसी को मुल्ला कहे या पाकिस्तानी। मुसलमानों के एक बहुत बड़े वर्ग को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये मध्य और निम्न मध्य वर्ग के वे मुसलमान हैं जो दंगों की लपटों में झुलस जाते हैं। इस वर्ग को मतलब है तो सिर्फ इस बात से कि इन्हें दो जून की रोटी मिलती रहे और रोटी कमाने वाले कायम रहें। ये अपने गांव में रहते रहें क्योंकि दूसरी किसी जगह पर ठिकाना नहीं है। इन्हें रहने के लिए गांव छोडक़र कैंपों में न जाना पड़े। यही इनकी सबसे बड़ी फिक्र है।
दलीप कौर तिवाणा ने लौटाया पद्मश्री, सिलसिला तेज

दलीप कौर तिवाणा ने लौटाया पद्मश्री, सिलसिला तेज

बढ़ती सांप्रदायिकता और अभिव्‍यक्ति की आजादी पर बढ़ते हमलों के खिलाफ साहित्यकारों के सम्मान लौटाने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को पंजाबी लेखिका दलीप कौर तिवाणा ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का एेलान किया।
चुनावी फायदे के लिए दादरी कांड का इस्‍तेमाल: शिवसेना

चुनावी फायदे के लिए दादरी कांड का इस्‍तेमाल: शिवसेना

गोमांस खाने की अफवाह पर दादरी में एक व्यक्ति की हत्या की घटना पर मचे घमासान के बीच शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने आज कहा कि घटना का इस्तेमाल बिहार चुनाव के लिए राजनीतिक औजार के रूप में किया जा रहा है। इसने आरोप लगाया कि राजनीति के लिए धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है।
फिलहाल  बिसाहड़ा में अखलाक का परिवार

फिलहाल बिसाहड़ा में अखलाक का परिवार

मोहम्मद अखलाक का परिवार फिलहाल गांव में ही रहेगा। वह कहीं नहीं जाएगा। बीते दिनों गांव बिसाहड़ा में गोमांस की अफवाह के चलते हिंदू चरमपंथियों ने अखलाक को पीट-पीट कर कत्ल कर दिया था।
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