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बलात्कार पीड़िता की 'टू फिंगर जांच' से दिल्ली सरकार पीछे हटी

बलात्कार पीड़िता की 'टू फिंगर जांच' से दिल्ली सरकार पीछे हटी

दिल्ली में बलात्कार पीड़िता की ‘टू फिंगर जांच’ की अनुमति देने के एक दिन बाद ही आम आदमी पार्टी की सरकार ने चौतरफा विरोध के बाद इससे हाथ पीछे खींच लिए हैं।
मोदी के बांग्लादेश दौरे से क्रिकेट टीम का कार्यक्रम बदला

मोदी के बांग्लादेश दौरे से क्रिकेट टीम का कार्यक्रम बदला

भारतीय क्रिकेट टीम का बांग्लादेश दौरा एक दिन के लिए टल गया है। इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश जा रहे हैं इसलिए भारतीय टीम अब 7 जून के बजाय 8 जून को बांग्लादेश पहुंचेगी। दरअसल भारतीय टीम को 7 जून को ही ढाका के लिए रवाना होना था लेकिन उसी दिन प्रधानमंत्री भी वहां पहुंच रहे हैं।
आठ भारोत्तोलन कोचों पर दो साल का प्रतिबंध

आठ भारोत्तोलन कोचों पर दो साल का प्रतिबंध

भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्‍ल्यूएफ) ने उन भारोत्तोलकों के कोचों पर दो साल का प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है जो पिछले कुछ महीनों के दौरान अलग-अलग चैंपियनशिप में प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के दोषी पाए गए थे।
कुक ने इंग्लैंड को मजबूती दिलाई

कुक ने इंग्लैंड को मजबूती दिलाई

एलेस्टर कुक ने शतकों का सूखा खत्म करते हुए इंग्लैंड की पारी को पूरी तरह ढहने से बचाया जिसके बाद इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे और अंतिम टेस्ट के पहले दिन का खेल खत्म होने तक सात विकेट के नुकसान पर 240 रन बना लिए।
साइना ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के दूसरे दौर में

साइना ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के दूसरे दौर में

भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और तेजी से उभरते एच.एस. प्रणय ने क्रमश: महिला और पुरुष वर्ग में जीत दर्ज करके आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के दूसरे दौर में प्रवेश किया।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?