भाजपा ने सिमी के आठ सदस्यों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की न्यायिक जांच की कुछ विपक्षी दलों की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वोटबैंक की राजनीति के तहत आतंकवादियों के मारे जाने की घटना की जांच की मांग का चलन खत्म होना चाहिए।
मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (मामी) पर भी सोमवार को भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की छाया देखने को मिली। फिल्मोत्सव के आयोजकों ने पाकिस्तानी फिल्म जागो हुआ सवेरा की स्क्रीनिंग के दौरान विरोध प्रदर्शन के खतरे को देखते हुए अपने रेट्रोस्पेक्टिव वर्ग से इस फिल्म को हटा दिया है।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र सरकार से पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिए जाने की मांग की है। उन्होंने राव के काम को बेमिसाल बताते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी और पूर्व की सरकारों ने राव के साथ न्याय नहीं किया।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के 22 सितंबर से अस्पताल में भर्ती होने के कारण तमिलनाडु के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने आज वे सारे विभाग वित्त मंत्री ओ पनीरसेल्वम को सौंप दिये जो जयललिता के पास थे लेकिन साथ ही कहा कि अन्नाद्रमुक प्रमुख ही मुख्यमंत्री रहेंगी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रह चुके संजय बारू का मानना है कि कई बड़ी उपलब्धियों के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव को उनकी ही पार्टी ने नीचा दिखाया है।
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने अपने रवैये पर कायम रहते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि नरसिंह यादव पर डोपिंग के कारण चार साल का प्रतिबंध लगने के लिए साई और नाडा के कुछ जूनियर अधिकारी जिम्मेदार हैं।
डोप परीक्षण में नाकाम रहने के कारण ओलंपिक खेल गांव से बाहर करने से हताश भारतीय पहलवान नरसिंह यादव को जब पता चला था कि खेल पंचाट (कैस) ने उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया है तो वह बेहोश हो गये थे।
भारतीय पहलवान नरसिंह यादव की किस्मत ने अचानक से फिर पलटी खाई और खेल पंचाट ने राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी द्वारा उन्हें दी गई क्लीन चिट को खारिज करते हुए उन्हें ओलंपिक से बाहर करने के साथ डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया। विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी : वाडा : ने नाडा द्वारा नरसिंह को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ खेल पंचाट में अपील की थी।
खेल पंचाट की समिति पूछ रही थी कि भारतीय कानून के तहत अभी तक दोषियों को सजा क्यों नहीं दी गई। यह सिर्फ गिरफ्तारी की बात नहीं थी बल्कि वे जानना चाहते थे कि क्या दोषी को किसी तरह की सजा मिली है। यदि आज गुनहगार जेल में होता तो फैसला हमारे पक्ष में आ सकता था।