क्रयशक्ति के आधार पर दिल्ली में रहने वालों के लिए एपल का आईफोन6 खरीदने का मतलब है कुल 360 घंटे की कमाई जेब से निकालना जबकि ज्यूरिख (स्विट्जरलैंड) में रहने वाले औसतन 20 घंटे की मेहनत से ही इस फोन को खरीद सकते हैं।
बाज़ार को बेचने हैं सौंदर्य को बढ़ाने वाले संसाधन इसलिए ‘च्वाइसेस’ या विकल्पों की बात हो रही है। लेकिन मुझे परेशानी इस बात से ज्यादा है कि वही स्त्री जब भारत के सड़कों, गलियों, खेतों, खलिहानों, कस्बों में बलत्कृत, क्षत-विक्षत मृत शरीर के रूप मे पाई जाती है। तब ना आपको उस पर बात करने से गुरेज है और ना उसका छायांकन करने में। लेकिन वही स्त्री जीवित अवस्था में अपने उसी शरीर पर हक की बातें करती है तो आपको 'परिवार व्यवस्था' से लेकर 'स्त्री देवी' के भ्रम के टूटने की धमक सुनाई देने लगती है।