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आईआईएमसी दिल्ली: ‘यज्ञ’ ने डाली ‘राष्ट्रीय पत्रकारिता’ सेमिनार में विवाद की आहुति

आईआईएमसी दिल्ली: ‘यज्ञ’ ने डाली ‘राष्ट्रीय पत्रकारिता’ सेमिनार में विवाद की आहुति

भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) दिल्ली इन दिनों एक सेमिनार को लेकर विवादों में है। 20 मई को होने वाले इस सेमिनार में पत्रकारिता के मौजूदा हालात पर चर्चा होगी। विवाद का मुद्दा यहां सेमिनार से पहले आईआईएमसी परिसर में होने वाला सामूहिक यज्ञ है। इसे लेकर छात्र समर्थन और विरोध में बंटे नजर आ रहे हैं।
देश में पत्रकारिता से सामाजिक जागरुकता आई : प्रणब मुखर्जी

देश में पत्रकारिता से सामाजिक जागरुकता आई : प्रणब मुखर्जी

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पत्रकारिता का देश के सामाजिक सुधार के साथ लोगों में जागरुकता लाने में अहम योगदान है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि देश की आजादी से लेकर वर्तमान में पत्रकारिता ने कई आयामों की स्‍थापना की है।
पत्रकारिता के प्रति आस्था के लिए, बोलीं तस्वीरें

पत्रकारिता के प्रति आस्था के लिए, बोलीं तस्वीरें

नागपुर में कवयित्री-कलाकार दीप्ति कुशवाह की दो दिवसीय पोस्टर प्रदर्शनी, आयोजित की गई। तस्वीरें बोलती हैं शीर्षक से अखबार और पत्रकारिता से जुड़ी सूचनाओं, रोचक प्रसंगों, सूक्तियों, शायरी और कविताओं को प्रस्तुत करते, कोलाज शैली में बने लगभग 50 पोस्टर दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहे।
क्षेत्रीय भाषाओं में पत्रकारिता पढ़ाएगा आईआईएमसी

क्षेत्रीय भाषाओं में पत्रकारिता पढ़ाएगा आईआईएमसी

क्षेत्रीय मीडिया की प्रगति के मद्देनजर प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) मलयालम और मराठी सहित क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रहा है। संस्थान ने डिजिटल मीडिया के विस्तार को ध्यान में रखते हुए अपने दिल्ली परिसर में एक न्यू मीडिया एंड आईटी विभाग भी स्थापित किया है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य पत्रकारिता में पहला मूूल्यांकन कौशल प्रोग्राम पेश

सार्वजनिक स्वास्थ्य पत्रकारिता में पहला मूूल्यांकन कौशल प्रोग्राम पेश

सार्वजनिक स्वास्थ्य, पत्रकारिता और संचार में अपनी तरह का पहला ‘महत्वपूर्ण मूल्यांकन कौशल पाठ्यक्रम प्रमाणपत्र आज भारतीय जनसंचार संस्थान के द्वारा 40 युवा मीडिया पेशेवरों को दिया गया।
खोजी पत्रकारिता की असलियत

खोजी पत्रकारिता की असलियत

'पनामा पेपर्स’ ने विकीलीक्स‍ से ज्यादा विश्वभर में हलचल पैदा की है। भारत में भी क्योंकि 500 से ज्यादा भारतीयों के विदेशी कंपनियों में हिस्सेदारी होने के कागजातों का खुलासा हुआ है। लेकिन मेरा मानना है कि यह भारतीय खोजी पत्रकारिता की बहुत अच्छी मिसाल नहीं है। कारण दुनिया भर के तथाकथित खोजी पत्रकारिता के 'स्टार अलाइंस’ ने जो दस्तावेज एकत्रित किए, उनको हमारे अखबारों ने हूबहू छाप दिया है। उनकी आगे से कोई खोजबीन नहीं की। मीडिया अब भी, ज्यादातर घटनाओं में, सरकारी एजेंसियों एवं कचहरी द्वारा प्राप्त किए कागजातों को अपने सूत्रों के हवाले से छापकर वाहवाही लूटने की कोशिश करता है। ज्यादातर 'खोजी खबरें’ प्लेट में सजी-सजाई मिलती हैं।
चर्चाः उठ रहा पर्दा काले खातों का | आलोक मेहता

चर्चाः उठ रहा पर्दा काले खातों का | आलोक मेहता

भारतीय नेता यूं मीडिया को हर बात पर कोसते रहते हैं। लेकिन उन्हें कभी-कभी ईमानदार और साहसपूर्ण पत्रकारिता की तारीफ भी कर देनी चाहिए। आखिरकार बोफोर्स, टू जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाले और विदेश में जमा काले धन और बैंक खातों का पर्दाफाश भारत के खोजी पत्रकारों ने ही किया है।
युद्ध या प्रेम: हम किस चीज से प्यार करें?

युद्ध या प्रेम: हम किस चीज से प्यार करें?

मास्को की मुलाकात कोई औपचारिक इंटरव्यू नहीं थी। न ही यह लुक-छिपकर की गई कोई भेंट थी। बढ़िया बात यह थी कि हमारा मिलना किसी सतर्क, कूटनीतिक, औपचारिक एडवर्ड स्नोडेन से नहीं हुआ। अफसोस की बात यह है कि कमरा नंबर 1001 में हुए मजाकों, हास्य और मसखरेपन को उसी तरह व्यक्त नहीं किया जा सकता।
बिहार चुनाव में कैसे पलटा भाजपा का अंकगणित

बिहार चुनाव में कैसे पलटा भाजपा का अंकगणित

बिहार चुनाव में क्यों इतनी क्रूरता से पलटा भाजपा का भाग्य। भाजपा के प्रवक्ता और समर्थक महागठबंधन के अंकगणित और विपक्षी एकता को ही बढ़-चढ़कर अपनी हार की मुख्य वजह बताने मे लगे हैं। इस बहस में यह तथ्य बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिया गया कि हाल के चुनाव में भाजपा के परंपरागत मतदाताओं के अच्छे खासे प्रतिशत ने पार्टी का साथ छोड़ दिया।
राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
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