यमुना किनारे आयोजित विश्व संस्कृति महोत्सव से पर्यावरण को हुए नुकसान के मद्देनजर पांच करोड़ का जुर्माना आर्ट ऑफ लिविंग पर लगाया गया था। इस जुर्माने को श्री श्री रविशंकर ने पूरी तरह चुका दिया है। एनजीटी ने आर्ट आफ लिविंग पर 5 करोड़ का हर्जाना लगाया था। इसमें से 25 लाख की रकम आर्ट आफ लिविंग ने 11 मार्च को कार्यक्रम से ठीक पहले अदा की थी। बाकी का जुर्माना पौने पांच करोड़ डीडीए को दे दिया गया है।
दुनिया के सौ सबसे प्रदूषित शहरों में 30 भारतीय शहरों को शामिल करने पर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की प्रदूषण पर आधारित ताजा रिपोर्ट को भ्रामक करार दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि भारत जल्द ही अमेरिका और यूरोप के बड़े शहरों के वायु प्रदूषण के आंकड़े जारी करेगा।
जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, तब से गाय माता अचानक से लाइम लाइट में आ गई हैं। पर्यावरण मंत्रालय गाय पर एक दिवसीय कार्यक्रम कर रहा है। राजस्थान में भी गाय पर कार्यक्रम हो रहा है।
अमेरिका ने कहा है कि भूटान जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर एक वैश्विक आदर्श है क्योंकि यह देश जितनी कार्बन डाइ आॅक्साइड का उत्सर्जन करता है, उससे तीन गुना ज्यादा यह अवशोषित कर लेता है। उसका संविधान कहता है कि देश में कम से कम 60 फीसदी हिस्से पर जंगल होने चाहिए। इस समय इसके 72 फीसदी हिस्से पर जंगल हैं।
अन्ना के जल संरक्षण मॉडल से उनके गांव वाले ही उनसे नाराज हो गए हैं। अन्ना के सामाजिक जीवन में शायद यह पहली बार हो रहा है। जब उनके अपने लाेगों ने ही उनका विरोध किया है। गांव के किसान वाटर लेबल में सुधार के लिए बोरवेल भरे जाने की अन्ना की मुहिम को दरकिनार करते हुए एकमत होकर कहा है कि हम हर बार अन्ना की नहीं सुनेंगे।
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के जंगलों में लगी आग के मुद्दे पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि वह यह देखकर स्तब्ध है कि हर कोई मुद्दे को इतने हल्के तरीके से ले रहा है। एनजीटी ने दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया।
राष्ट्रीय राजधानी में डीजल से चलने वाली 27 हजार टैक्सियों पर प्रतिबंध रविवार से लागू हो गया। हालांकि इसका वास्तविक असर कल ही नजर आएगा जो कि रोक लगाए जाने के बाद पहला कामकाजी दिन होगा।
उत्तराखंड में 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का काम पिछले कई वर्षों से लटका पड़ा है। गैर सरकारी संगठनों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है कि इन परियोजनाओं की वजह से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।