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भाजपा शासित एमपी में फाइलें अटक जा रहीं, मंत्री यशोधरा बोलींं जवाबदेही तय हो

भाजपा शासित एमपी में फाइलें अटक जा रहीं, मंत्री यशोधरा बोलींं जवाबदेही तय हो

भाजपा शासित मध्‍य प्रदेश में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रियों और आईएएस अफसरों में कामकाज को लेकर सही तालमेल नहीं हो पा रहा है। कैबिनेट की बैठक में खेल एवं युवक कल्याण मंत्री यशोधरा राजेे ने मुख्‍य सचिव पर दस माह तक फाइल दबाने का अारोप लगा दिया है।
भ्रष्ट अफसर से ‘आप’ की प्रतिबद्धता | आलोक मेहता

भ्रष्ट अफसर से ‘आप’ की प्रतिबद्धता | आलोक मेहता

सरकारी अधिकारियों की राजनीतिक प्रतिबद्धता वर्षों से विवाद का मुद्दा रही है। कांग्रेस, कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, संघ की विचारधाराओं वाली सरकारें रहने पर यह सवाल उठता रहा है कि नौकरीशाही किसी दल, व्यक्ति या विचार से प्रतिबद्ध रहने के बजाय लोकसेवक के रूप में नियम-कानून के अनुसार सरकार-संगठन द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों और आदेशों का क्रियान्वयन करे।
भ्रष्‍टाचार का आरोप : केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार गिरफ्तार

भ्रष्‍टाचार का आरोप : केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार गिरफ्तार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को सोमवार को सीबीआर्इ ने गिरफ्तार कर लिया है। राजेंद्र कुमार पर बिना नीलामी के 50 करोड़ के ठेके देने का आरोप था।
मनमोहन के सचिव के दामाद की कंपनी में विदेश से आए करोड़ों!

मनमोहन के सचिव के दामाद की कंपनी में विदेश से आए करोड़ों!

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी और सलाहकार रहे टीकेए नायर की बेटी और दामाद से जुड़ी कंपनी में खाड़ी के देश से 45 करोड़ रुपये आने का आरोप लग रहा है। कमाल की बात है कि कंपनी जिस उद्देश्य से बनाई गई थी वैसा कोई काम भी नहीं कर रही है।
कमलनाथ के बाद कांग्रेस की नई पंजाब प्रभारी आशा कुमारी पर भी उठा विवाद

कमलनाथ के बाद कांग्रेस की नई पंजाब प्रभारी आशा कुमारी पर भी उठा विवाद

कांग्रेस ने रविवार को पंजाब में कमलनाथ की जगह पार्टी सचिव आशा कुमारी को एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया लेकिन जमीन कब्जाने के एक मामले में उनके दोषी होने को लेकर विवाद शुरू हो गया। इससे पहले कमलनाथ ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों में कथित भूमिका को लेकर भाजपा, अकाली दल और आप के विरोध के बाद पिछले दिनों यह जिम्मेदारी छोड़ दी थी।
अब स्वामी ने किया शक्तिकान्त दास पर हमला, जेटली ने कहा गलत

अब स्वामी ने किया शक्तिकान्त दास पर हमला, जेटली ने कहा गलत

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आज आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास पर हमला बोला। जिस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक अनुशासित सरकारी अधिकारी पर इस तरह के हमले को अनुचित व गलत बताया।
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
चर्चाः सिंहासन पर बैठ कांव कांव | आलोक मेहता

चर्चाः सिंहासन पर बैठ कांव कांव | आलोक मेहता

सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके कर्म-वचन जनता के हित के लिए होने चाहिए। सिंहासन पर बैठकर कांव कांव करना उन्हें शोभा नहीं देता। पेड़, शाखा, गांव, शहर और मंच पर छलांग लगाते हुए उन्हें अलग-अलग बातें नहीं करनी चाहिए।
संकट में घिरे केजरीवाल इतिहास बताने लगे

संकट में घिरे केजरीवाल इतिहास बताने लगे

अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर लाभ के पद के मामले में घिरे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब इस बारे में पूर्व के उदाहरणों का सहारा लेकर अपने विधायकों की कुर्सी बचाने की कोशिश में लग गए हैं। केजरीवाल ने बुधवार को मीडिया के सामने सवाल उठाया कि दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा सरकारों के समय ऐसी ही नियुक्तियां संवैधानिक थीं तो अब उनकी सरकार के समय यह असंवैधानिक कैसे हो गईं?
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