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अटाली की औरतें नहीं जानती कि उनके बच्चे कहां पैदा होंगे

अटाली की औरतें नहीं जानती कि उनके बच्चे कहां पैदा होंगे

बीस साल की सहरुमा पेट से है। नवां महीना जारी है। उसके पास न तो जच्चा-बच्चा कार्ड और न ही उसे पता है कि बच्चे की पैदाइश कहां हो सकेगी। पिछले चार महीनों से उसने डॉक्टर के यहां कोई चेकअप भी नहीं करवाया है। सहरुमा फरीदाबाद के गांव अटाली के उस अल्पसंख्यक पीड़ित समुदाय से है जिन्हें सांप्रदायिक हिंसा के चलते चार महीने पहले अपना घर और गांव छोड़ना पड़ा था। फरीदाबाद के अटाली में हालात जस के तस हैं। जिन 175 परिवारों ने गांव छोड़ा था उनके हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। गौरतलब है कि लगभग चार महीने पहले अटाली गांव में मस्जिद बनाने के विवाद पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।
कैंप में रहने को मजबूर हुए अटाली के मुसलमान

कैंप में रहने को मजबूर हुए अटाली के मुसलमान

फरीदाबाद के गांव अटाली में फैली हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। ताजा हालात यह हैं कि अब 150 परिवारों के 12,00 लोग कैंप में रहने के लिए मजबूर हैं। गौरतलब है कि इसी वर्ष 25 मई को अताली में एक मस्जिद के निर्माण को लेकर सांप्रदायिक तनाव फैल गया था। इस वजह से एक गुट ने मुस्लिम समुदाय पर हमला बोला, उनके घर जला दिए और मुसलमान समुदाय गांव छोड़ने पर विवश हो गए।
फिर हिंसा में जला अताली

फिर हिंसा में जला अताली

फरीदाबाद (हरियाणा) का गांव अताली फिर से हिंसा की आग में जलने लगा है। हिंदू-मुस्लिम समुदायों में हुई ताजा हिंसा के तहत अंदाजन 60 मुस्लिम परिवारों को घर छोड़ना पड़ा। मस्जिद संबंधी विवाद से बीते कई महीनों से अताली में माहौल पहले ही तनावपूर्ण चल रहा है।
बल्लभगढ़ में घर वापसी करने लगे दंगा पीड़ित

बल्लभगढ़ में घर वापसी करने लगे दंगा पीड़ित

दस दिनों से बल्लभगढ़ के अटाली गांव में चला आ रहा विवाद अब शांत पड़ चुका है। बल्लभगढ़ में दंगा पीड़ितों के लिए बने शिविर से लोग बसों में बैठकर अपने गांव लौट चुके हैं। जिस धार्मिक स्‍थल को क्षतिग्रस्त करने को लेकर विवाद था, अब उस पर भी समझौता हो गया है।
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