एक रिपोर्ट के अनुसार कपास खेती के कम रकबे और उपज में भारी कमी के कारण चालू वर्ष में देश का कपास उत्पादन 11 फीसदी घटकर 335 लाख गांठ रह जाने का अनुमान है।
किसान जो पहले ही जलवायु परिवर्तन समेत कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। अब देश में गैरकानूनी और नकली कीटनाशी दवाओं के बेचे जाने का जख्म भी झेल रहे हैं। पंजाब में हुआ हालिया फसल नुकसान जहाँ नकली कीटनाशी के कारण कपास की फसल पूरी तरह तबाह हो गयी, इसी का एक उदाहरण है।
पंजाब में कपास की फसल के नुकसान के बाद अब मटर उत्पादक किसानों ने घटिया बीज आपूर्ति की शिकायत की है। किसानों का आरोप है कि राज्य के कृषि विभाग ने घटिया गुणवत्ता के बीज की आपूर्ति की है जिससे फसल में देरी हुई है।
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज की कीमतों में फिर से तेजी का रख बन गया है। पुराना स्टाक खपने और इस साल खरीफ की नई फसल 25-30 प्रतिशत कम रहने की वजह से प्याज की आपूर्ति घटी है।
फसल की बर्बादी और उचित मदद न मिलने से किसानों की खुदकुशी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। आज पंजाब और मध्य प्रदेश से किसानों की कथित खुदकुशी की खबरें आई हैं जबकि कल आंध्र प्रदेश में एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी।
मध्य प्रदेश में किसी किसान की जमीन जबर्दस्ती लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम जानते हैं कि किसान और खेती के बिना हमारा राज्य विकास नहीं कर सकता है। किसान हमारी पहली प्राथमिकता है। आउटलुक से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह जोर देकर यह कहा कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के तहत उनके राज्य में किसानों के साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं की जाएगी, उससे साफ था कि वह किसानों के हिमायती राष्ट्रीय नेता के तौर पर खुद को स्थापित करने की तैयारी में हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किसानों की मदद के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। फसलों को हुए नुकसान के सर्वे की रस्म अदायगी भी जारी है। लेकिन मेहनत की कमाई लुटा चुके किसानों के हाथ से मुआवजा अभी दूर है। दरअसल, फसलों के बीमा और मुआवजे की प्रक्रिया में इतने झोल हैं कि किसान तक सिर्फ आश्वासन ही पहुंच पाते हैं।