बच्चों को अपराध से रोकने के साथ-साथ उन पर होने वाले जुल्म से बचाने के लिए किशोर न्याय अधिनियम लागू हो गया है। इसके तहत बच्चों से मारपीट करने पर अभिभावक को भी सजा का प्रावधान है।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के लिए अब भारत और दुनिया भर में बच्चों के अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई तेज करना तथा अपने जीवनकाल में बाल दासता को समाप्त कर देना मिशन बन गया है।
आक्रोश और उन्माद हिंसा दे सकते हैं, न्याय नहीं, राज्यसभा में किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) विधेयक-2015 के पारित होने से यही बात फिर से साबित हुई है। उंन्मादित जनता बस 16 दिसंबर 2012 सामूहिक बलात्कार (निर्भया) के किशोर अपराधी का खून मांगने निकली थी, सरकार ने उसके दामन में देश भर के बच्चों को अपराधी बनाने का दाग भर दिया। जी हां, किशोर न्याय विधेयक का बर्बर बलात्कार और हत्यायों से कोई खास रिश्ता नहीं है। यह विधेयक किसी भी ‘जघन्य’ अपराध के आरोपी किशोरों के साथ व्यस्क अपराधियों सरीखा व्यवहार करने, उन पर वयस्क अदालतों में मुकदमा चलाने और उन्हें वयस्कों के लिए बनी जेल में भेजने का रास्ता खोलता है।
पूर्वी दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत परिसर में आज अज्ञात बदमाशों की गोलीबारी में दिल्ली पुलिस के एक जवान की मौत हो गई जबकि दो लोग घायल हैं। इस गोलीकांड को गैंगवार से जोड़कर देखा जा रहा है।
न जाने बच्चों की कितनी पीढ़ियां 1952 में आई फिल्म जागृति के गाने 'आओ बच्चो, तुम्हें दिखाएं...’ की समधुर धुन सुनकर देश को जाना होगा और शायद भूगोल और इतिहास की किताबों की तुलना में इन गानों के जरिये ज्यादा आसानी से अपने राष्ट्र पर गर्व महसूस किया होगा। ट्रेन यात्रा बच्चों के लिए हमेशा रोमांचक रही है।
निर्भया के साथ दरिंदगी के आरोप में तीन साल की सजा भुगतने के बाद रिहा हो रहे किशोर की सजा बढ़ाने की पुरजोर मांगों के बीच बदायूं स्थित उसके गांव में एक पक्ष उसके गांव में दाखिल होने का विरोध करने की तैयारी में है। इस बीच दोषी की रिहाई को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा कारणों से उसे बाल सुधार गृह से किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि सरकारी विभागों में श्रमबल के अभाव के कारण सरकार के पास तकरीबन 2.46 लाख पेटेंट आवेदन जबकि 5.32 लाख व्यापार चिह्न पंजीकरण लंबित पड़े हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी-बीपीओ, वाहन, रत्न एवं जेवरात और कपड़ा समेत आठ क्षेत्रों में रोजगार पिछले वित्त वर्ष के दौरान 5.21 लाख बढ़ा। यह बात एक सरकारी रपट में कही गई।