भारतीय शटलर बी साई प्रणीत ने पूरे दबदबे के साथ खेलते हुए शनिवार को सिंगापुर में कोरिया के ली डोंग कियुन को आसानी से पराजित करके सिंगापुर ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।
भारत से ज्यादा उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल, चीन, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका हैं। एक वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवाद के पनाहगाह पाक और बेहद गरीब नेपाल जैसे देश भी खुशहाली के मामले में भारत को पीछे छोड़ चुके हैं।
फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री (फोर्टी) ने नोटबंदी से उत्पन्न स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि अगर यही हालात रहे तो दो माह में एक लाख करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हो सकता है।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) के नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह मुददों से ध्यान बंटाने के लिए जुमलेबाजी करते हैं।
देश में क्रिकेट को सबसे लोकप्रिय खेल माना जाता है। लेकिन बैडमिंटन ने अब इस खेल को पीछे कर दिया है। रियो ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक के लिए हुए महिला सिंगल्स मैच में भारतीय शटलर पी.वी. सिंधु और स्पेन की कैरोलिना मारिन के बीच हुए मैच को विश्व कप क्रिकेट टी-20 सेमीफाइनल मैच से भी ज्यदा दर्शक मिले हैं।
देश में प्रभावशाली लोगों का एक तबका सट्टेबाजी और जूए को वैध बनाने की पुरजोर कोशिशों में जुटा है। इनमें नौकरशाही और बड़े कारोबारी शामिल हैं। बीते दिनों दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) के उद्घाटन समारोह में इसकी एक झलक देखने को मिली जब सीबीआई के पूर्व निदेशक रणजीत सिन्हा ने सट्टे और जूए को वैध बनाने की पुरजोर वकालत की। वहीं पूर्व क्रिकेटर और लोकसभा सांसद कीर्ती आजाद ने इसकी यह कहकर मुखालफत की कि इससे गरीब आदमी आर्थिक तौर पर और बर्बाद हो जाएगा। कार्यक्रम में एकमात्र कीर्ती आजाद ऐसे थे जिन्होंने देश में सट्टे और जूए को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया। इस मौके पर कीर्ती आजाद से खास बातचीतः
नारी शक्ति की जयकार का अनूठा नजारा आज राष्ट्रपति भवन में देखने को मिला जब रियो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू, पहलवान साक्षी मलिक और जिम्नास्ट दीपा करमाकर को राष्ट्रपति ने राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा। इनके साथ ही निशानेबाज जीतू राय को भी देश का यह सर्वोच्च खेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
जब बात अनुशासन की आती है तो भारत के दिग्गज बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद कोई समझौता नहीं करते और यही वजह रही कि उन्होंने पिछले तीन महीने से पी.वी. सिंधु को फोन से दूर रखा और रियो पहुंचने पर इस रजत पदक विजेता शटलर को आईसक्रीम भी नहीं खाने दी।
पीवी सिंधु बैडमिंटन में महिलाओं की एकल स्पर्धा में रजत पदक जीतकर खुश हैं। उन्होंने कहा कि देश को स्वर्ण पदक दिलाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ झोंक दिया था।
कहा जाता है कि गुरु को मुक्ति तब मिलती है, जब शिष्य उससे बड़ा हो जाए। गोपीचंद ने इसे अपनी जिंदगी में अपनाया है। ओलंपिक के लिहाज से देखा जाए, तो आज उनके शिष्य बड़े मुकाम पर खड़े हैं। गोपी से भी ऊंचे मुकाम पर। फर्क बस यह है कि गोपी का कद भी उसके साथ बढ़ता जा रहा है। जीवन में जो सीखा, उसे संसार को वापस करना क्या होता है, इसे गोपी से समझा जा सकता है।