बसपा प्रमुख मायावती ने आज कहा कि केंद्र की नीतियां प्रदर्शित करने वाले राष्ट्रपति अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं है और इसमें काम कम और बातें ज्यादा हैं। उन्होंने संसद भवन परिसर में कहा, राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं है। विगत में जो सभी बातें कही गयी हैं, उसे ही विभिन्न तरीके से पेश किया गया है।
जंतर-मंतर पर भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर अन्ना आंदोलन जारी था और इधर दिल्ली के कॉन्सटीट्यूटशन क्लब में किसानों के हकों की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की इसी मुद्दे पर अलग से प्रैसवार्ता चल रही थी। अन्ना आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना था कि उनके साथ देशभर के सभी किसान संगठन हैं जबकि किसानों का महत्वपूर्ण संगठन बीकेयू इसी मुद्दे पर अन्ना से अलग रहा।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अपने प्रदर्शन से पहले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आज संकेत दिए कि अगर नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
विकास के वादे के साथ सत्ता में आई नई सरकार ने सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों और विधानों पर निर्दयता से धावा बोल दिया है। अक्तूबरए 2014 में यह अफवाह उड़ाई गई कि कुछ जिलों में मनरेगा योजना बंद कर दी जाएगीए हालांकि प्रस्तावित बदलावों को लागू नहीं किया गया। मनरेगा के लिए वित्त की कमी करके और मजदूरी के भुगतान में देरी करके इसको धीरे.धीरे खत्म करने की स्थिति पैदा की जा रही है।
सीबीआई ने विशेष अदालत में कोयला ब््लॉक आवंटन से जुड़े एक मामले में अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट पेश कर दी जिस पर 11 मार्च को सुनवाई होगी। इस मामले में पूर्व कोयला सचिव पी सी पारख, हिंडाल्को और अन्य कथित तौर पर संलिप्त हैं।
व्यापम घोटाले में कांग्रेस के आरोपों को नकारते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि यह सब राजनीतिक साजिश है। उमा ने कहा कि तीन चुनाव हारने तक कांग्रेस के जो नेता एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करते थे आज वे मेरी छवि खराब करने के लिए एकजुट हो गए हैं।
विदेश सचिव सुजाता सिंह की जबरन विदाई के बाद गृह सचिव अनिल गोस्वामी की बर्खास्तगी से केंद्र सरकार के कामकाज पर सवाल उठने लगा है। गोस्वामी पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह को शारदा घोटाले में गिरफ्तार न किए जाने की पहल का आरोप था।
मशहूर ऐक्टिविस्ट नेता मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश समेत कई लोग भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के ख़िलाफ़ दिल्ली कूच करेंगे। भूमि अध्यादेश संबंधी 2013 के कानून में बदलाव के खिलाफ 28 फरवरी को हरियाणा के पलवल से दिल्ली तक यह मार्च निकाला जाएगा।