देवदासी नृत्य का दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य से नाभि-नाल का रिश्ता रहा है। इसकी गरिमामई वापसी के लिए चल रहे प्रयासों की कड़ी में ही यशोधा राव ठाकुर की प्रस्तुतियों को देखा जा सकता है।
पर्यावरणविद एवं विचारक के एन गोविन्दाचार्य ने कहा है कि सरकार भूमि अधिग्रहण बिल को लागू करने की कोशिश में लगी है लेकिन उसे इस देश के पांच करोड से ज्यादा बेघर लोगों की चिंता नहीं है।
चुनावों में शानदार जीत के बाद आम आदमी पार्टी में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे। हर दिन नया खुलासा। अब आप के भीतर चल रही उठापटक के बीच प्रशांत भूषण द्वारा पार्टी की पीएसी को पिछले साल भेजा गया एक ई-मेल सामने आया है, जिसमें उन्होंने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया पर नाखुशी जताई थी। उन्होंने कहा था कि वह पार्टी का फैसला करने वाले शीर्ष निकाय में रबर स्टांप नहीं रहेंगे।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही पार्टी में सब ठीक हो जाएगा। लगातार उनके ट्वीट और फेसबुक पेज के अपडेट्स बता रहे हैं कि उन्हें भरोसा है कि इस विष से अमृत निकलेगा।
भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति, प्रत्यक्ष लोकतंत्र (डायरेक्ट डेमोक्रेसी), स्वराज जैसे जुमलों को हवा में उछाल कर जिस तरह आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ दिल्ली की सत्ता में आई। उसे जनता के एक बड़े हिस्से ने भारतीय राजनीति में बदलाव की ताकत के तौर पर देखा। लेकिन पार्टी के मुख्य हीरो जिस तरह लगातार इन शब्दों का मजाक उड़ाते रहे उससे नाराज लोग अब सवाल उठाने लगे हैं कि यह आप का स्वराज है कहां?
आप की भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति की पोल अब पूरी तरह खुल चुकी है। यह भी साबित हो चुका है कि पार्टी का केजरीवाल गुट किसी भी तरह से सत्ता में आना और बने रहना चाहता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह से आपराधिक, धनबली और बाहुबली प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया उस पर सवाल तो उठे थे लेकिन केजरीवाल गुट के मीडिया मैनेजरों ने कभी भी इन्हें मुख्य सवाल नहीं बनने दिया। क्या अपराधियों और बाहुबलियों को साथ लेकर कोई भ्रष्टाचार विरोधी लड़ी जा सकती है। यह सवाल उठाना अब पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को महंगा पड़ रहा है क्योंकि कल के उम्मीदवार आज चुनाव जीत चुके हैं और दोनों नेताओं को ठिकाने लगाने के लिए अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) से प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव और शांति भूषण को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए दिल्ली के पचास से ज्यादा विधायकों ने दस्तखत किये हैं। इससे पहले योगेन्द्र यादव ने कहा था कि विधायकों पर उनके खिलाफ दस्तखत करने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को आम आदमी पार्टी (आप) की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) से निकालना अरविंद केजरीवाल गुट के गले की फांस बन गया है। केजरीवाल के करीबी मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, संजय सिंह और पंकज गुप्ता ने यादव और भूषण को पीएसी से हटाने को लेकर सफाई दी है।
आप का एक गुट योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को इतना अपमानित करना चाहता था कि वे पार्टी छोड़कर चले जाएं लेकिन उन्होंने ऐसा न कर उस गुट के इरादों पर पानी फेर दिया। अब वही गुट मुझे भी अपमानित करने पर उतारू है। यह कहना है कि आप नेता मयंक गांधी का। उन्होंने एक और ब्लॉग लिखकर अपनी बात कही है।