भारत में आजादी के आंदोलन में छात्रों और नौजवानों की अहम भूमिका रही थी। शहीद भगत सिंह, जयप्रकाश नारायण (जेपी) और लोहिया तक उस युवा शक्ति के क्रांतिकारी पक्ष के प्रतीक हैं।
‘तोप चलाओ और सत्ता पाओ’। वह बात भूल जाएं कि तोप के बजाय अखबार निकालें, क्योंकि सरकारी बंदूक रखने वाले इसी हथियार की ताकत से सत्ता के बड़े पदों की कामना करने लगते हैं। तभी तो जल्द ही रिटायर होने वाले दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी.एस. बस्सी ने राजनीतिक तोप इस्तेमाल कर राष्ट्रद्रोह के वर्तमान कानून को खत्म करने के बजाय इसका दायरा बढ़ाने की सलाह दे डाली है।
सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये जर्मनी में हिटलर के सत्ता में आने और भारत में आपातकाल के ऐतिहासिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए अभिनेता कमल हासन ने कहा कि हम बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते। साथ ही हासन ने लोकतंत्र में बोलने की आजादी के संरक्षण के लिए सतत निगरानी को जरूरी बताया।
वरिष्ठ नौकरशाह अमिताभ कांत का मानना है कि भारत जैसे लोकतंत्र में अगर कुछ लोग चाहते हों तो उन्हें बीफ सेवन की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंसद की आजादी होनी चाहिए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने आज कहा कि भारतीय राष्ट्रीय चरित्र के हिसाब से हमारे यहां के लिए संसदीय व्यवस्था मुनासिब नहीं है लेकिन देश इसमें अटक गया है क्योंकि वह हर चीज को मूर्त रूप देने के लिए अंग्रेजों की ओर देखता रहा है। थरूर ने कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण और बड़ी आबादी वाले देश में संसदीय प्रणाली का कारगर होना कठिन है।
हर साल सुर्खियों में रहने वाले जयपुर साहित्य उत्सव का आगाज इस साल भी एक विवाद के साथ हुआ है। फिल्मकार करन जौहर ने अपने बेबाक बयानों से असहिष्णुता पर छिड़ी बहस को गरमा दिया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध में अद्भुद कुशलता का प्रदर्शन कर दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर कर देने वाले लेफ्टिनेंट जनरल जे एफ आर जैकब का आज निधन हो गया। लेफ्टिनेंट जनरल जैकब ने युद्ध के बाद ढाका में पकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण का रास्ता हमवार किया था। जैकब को बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका अदा करने के लिए भी याद किया जाता है।