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चर्चाः षडयंत्रों का सिरदर्द | आलोक मेहता

चर्चाः षडयंत्रों का सिरदर्द | आलोक मेहता

सिंहासन के लिए महाभारत और रामायण युग के षडयंत्रों की कहानियां भारत के गौरवशाली इतिहास के साथ सुनाई-पढ़ाई जाती रही हैं। इसलिए अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी को षडयंत्रों की सूचनाओं पर क्या अधिक चिंतित होकर जनता के दरबार में गुहार लगानी चाहिए?
लोकतंत्र में बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते: कमल हासन

लोकतंत्र में बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते: कमल हासन

सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये जर्मनी में हिटलर के सत्ता में आने और भारत में आपातकाल के ऐतिहासिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए अभिनेता कमल हासन ने कहा कि हम बोलने की आजादी को हल्के में नहीं ले सकते। साथ ही हासन ने लोकतंत्र में बोलने की आजादी के संरक्षण के लिए सतत निगरानी को जरूरी बताया।
ट्विटर के भी शहंशाह बने अमिताभ बच्चन, 1.90 करोड़ प्रशंसक

ट्विटर के भी शहंशाह बने अमिताभ बच्चन, 1.90 करोड़ प्रशंसक

वजीर के सितारे अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के ऐसे पहले सेलिब्रिटी बन गए हैं जिनके लोकप्रिय माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक करोड़ 90 लाख फॉलोअर हैं।
सत्ता और जनता के बीच सेतु का काम करुंगी- डॉ. मीसा भारती

सत्ता और जनता के बीच सेतु का काम करुंगी- डॉ. मीसा भारती

राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव की बेटी डॉ. मीसा भारती भले ही लोकसभा का चुनाव हार गई हों लेकिन राजनीतिक सक्रियता बरकरार है। मीसा जनता के बीच बेहतर संवाद बनाए हुए हैं और भविष्य के लिए रणनीति तैयार कर रही हैं। आने वाले दिनों में मीसा की राजनीतिक भूमिका क्या होगी। इसको लेकर आउटलुक के विशेष संवाददाता ने विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
नीतीश ने निभाया वादा, बिहार में एक अप्रैल से शराबबंदी

नीतीश ने निभाया वादा, बिहार में एक अप्रैल से शराबबंदी

चुनाव में शानदार जीत के साथ बिहार की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले साल अप्रैल से राज्य में शराबबंदी लागू करने का ऐलान किया है। इस तरह नीतीश कुमार बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर पाबंदी लगाने का वादा निभाने जा रहे हैं।
म्यांमार के राष्ट्रपति ने लिया शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन का संकल्प

म्यांमार के राष्ट्रपति ने लिया शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन का संकल्प

म्यांमार के सेना प्रमुख के बाद अब देश के राष्ट्रपति ने भी आंग सान सू ची की पार्टी को राष्ट्रीय चुनाव में भारी जीत हासिल करने पर बधाई दी है और सत्ता के निर्बाध हस्तांतरण का वादा किया है। म्यांमार में लगभग 50 साल से सेना का प्रभुत्व रहा है।
भाजपा की मोदी आॅक्सीजन उनकी लोकप्रियता तक ही रहेगी : शिवसेना

भाजपा की मोदी आॅक्सीजन उनकी लोकप्रियता तक ही रहेगी : शिवसेना

केंद्र एवं राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगी भाजपा पर निशाना साधना जारी रखते हुए शिवसेना ने कहा कि भाजपा को सत्ता के रूप में मोदी आक्सीजन प्राप्त है और यह तब तक बनी रहेगी, जब तक लोगों में उनकी लोकप्रियता बनी रहेगी।
जगेन्द्र सवाल उठाता था, सत्ता ने मार दिया

जगेन्द्र सवाल उठाता था, सत्ता ने मार दिया

शाहजहांपुर के पत्रकार जगेन्द्र सिंह ने अपने मृत्‍युपूर्व बयान में खनन माफिया, स्मैक तस्करी और बलात्कार व हत्या आरोपी उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा के इशारे पर पुलिस द्वारा उन्‍हें जिंदा जलाने की बात कही थी। इस घटना ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है। लेकिन मामले में नामजद होने के बावजूद अभी तक मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा को गिरफ्तार नहीं किया गया है। आखिरकार जगेन्‍द्र की मौत के जिम्‍मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उनके पूरे परिवार को अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने को मजबूर होना पड़ा। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा उन पर मुकदमा वापस लेने का दबाव डलवा रहे हैं।
गजेंद्र ने सत्ता, सिस्टम और राजनीति का मुंह नोंच लिया !

गजेंद्र ने सत्ता, सिस्टम और राजनीति का मुंह नोंच लिया !

ये आंकड़ा हर किसी को पता है कि इस देश में 1995 से अब तक साढ़े तीन लाख किसानों-खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। दैनिक औसत निकालें तो 50 लोग हर रोज जान दे रहे हैं। 20 साल में देश की सत्ता और सिस्टम इन मौतों के जिम्मेदारों की शिनाख्त नहीं कर पा रही है। चूंकि, शिनाख्त नहीं हुई इसलिए आगे की कार्रवाई की भी जरूरत नहीं। एक खेल चल रहा है जिसमें राजनीतिक दल एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं। उनका ध्यान समस्या ओर उसके समाधान पर नहीं है, बल्कि खुद को दूसरों से उजला, ईमानदार और संवेदनशील दिखाने पर है। ऐसे में कोई गजेंद्र मरे तो मरता रहे, उनकी बला से।
पिपली लाइवः दिल्ली में किसान की जान के मायने

पिपली लाइवः दिल्ली में किसान की जान के मायने

शर्म इनको नहीं आती। एक किसान ने अपनी जान दी। उसने किस गहरे नैराश्य में डूबकर अपनी जिंदगी को फांसी लगाई, इस पर चर्चा करने के बजाय बाकी सारे पहलुओं पर बात पूरी बेहयायी के साथ बैटिंग चल रही है। किसान अपनी जेब में अपनी व्यथा की जो छोटी सी पुर्जी लेकर चल रहा था, वैसी ही पुर्जी लाखों किसानों ने आत्महत्या करने से पहले अपने दिलों में लिखी होगी।
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