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Search Result : "समाज के कमजोर वर्ग"

पिछड़े वर्ग के कई नेता आरक्षण के समर्थक नही

पिछड़े वर्ग के कई नेता आरक्षण के समर्थक नही

उतर प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके अशोक यादव पिछड़े वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के प्रबल समर्थक हैं। उत्तर प्रदेश में जब राजनाथ सिंह मुख्य‍मंत्री थे तब पिछड़े वर्ग को मिलने वाले आरक्षण में छेड़छाड़ का प्रयास किया था। यादव ने इसके विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तबसे आज तक यादव पिछड़े वर्ग के हित की लड़ाई लड़ रहे हैं। यादव कहते हैं कि अगर पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण में फिर छेड़छाड़ हुई तो पूरे देश में आंदोलन होगा। पेश हैं प्रमुख अंश-
भाजपा को जाट आरक्षण पर दल में ही चुनौती

भाजपा को जाट आरक्षण पर दल में ही चुनौती

केंद्र सरकार ने नौ राज्यों में जाटों को आरक्षण का लाभ दिए जाने की अधिसूचना निरस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि संविधान के तहत उसे अन्य पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में शामिल करने का अधिकार है। सरकार का यह कहना है कि आरक्षण प्रदान करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 16(4) से प्राप्त होता है।
विदेशी शासन से बने बैकलाॅग को पूरा करने में जुटा संघ

विदेशी शासन से बने बैकलाॅग को पूरा करने में जुटा संघ

राष्ट्रीय स्वसंसेवक संघ ने कहा कि आजादी के पहले के एक हजार साल के विदेशी शासन के कारण बने बैकलाॅग को अब पूरा करना है और हिन्दू समाज अब अपनी स्वाभाविक शक्ति, मेधा और स्वाभिमान से खड़ा है। संघ की ओर से यह भी कहा गया कि संघ हिन्दू समाज के साथ सभी लोगों की चिंता करेगा।
हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।
शुरूआती कारोबार में रुपया 50 पैसे कमजोर

शुरूआती कारोबार में रुपया 50 पैसे कमजोर

वैश्विक बाजार में अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुरूआती कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रूपया 50 पैसे कमजोर होकर 62.66 रूपये प्रति डॉलर पर आ गया है।
बेदखल आदिवासियों का लुप्त होता भोजन

बेदखल आदिवासियों का लुप्त होता भोजन

धीरे-धीरे आदिवासी भोजन खत्म होने की कगार पर पहुंच रहा है। परंपरागत आदिवासी भोजन न मिलनेकी वजह से 54 फीसदी आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यूनिसेफ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की संयुक्त पड़ताल में सामने आया है कि इसकी मुख्य वजह जंगल संबंधी नई नीतियां हैं, जिनके चलते आदिवासियों को उनके परंपरागत एवं पोषक भोजन से दूर कर दिया गया।
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