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Search Result : "समान नागरिक संहिता"

पिछले दो वर्षों में 567 भारतीयों को भारत भेजा

पिछले दो वर्षों में 567 भारतीयों को भारत भेजा

पिछले दो सालों में संघीय कानून अनुपालन एजेंसियों ने 567 भारतीय नागरिकों को भारत वापस भेजा है जबकि 6,360 भारतीयों को इसी अवधि में अमेरिका में घुसने की कोशिश करने के दौरान अमेरिकी सीमा पर हिरासत में लिया गया।
यमन भेजे गए भारतीय युद्धपोत

यमन भेजे गए भारतीय युद्धपोत

हिंसाग्रस्त यमन से भारतीयों को निकालने के लिए भेजे गए भारत के दो जंगी जहाज उन यात्री जहाजों को जलदस्यु रोधी सेवाएं भी उपलब्ध कराएंगे जो फंसे नागरिकों को वापस लाने के लिए जिबूती बंदरगाह भेजे गए हैं।
कैसे मिलते हैं पुरस्कार?

कैसे मिलते हैं पुरस्कार?

दुनियाभर में सत्ता प्रतिष्ठानों की तरफ से दिए जाने वाले पुरस्कार हमेशा विवादों में रहे हैं। केंद्र में इस बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद पहली बार देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिये गए हैं। अगर पुरस्कार पाने वालों की फेहरिस्त पर नजर डाली जाए तो ऐसा लगता है कि अपने लोगों को उपकृत करने में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से भी आगे चली गई है। इस बार भाजपा सरकार ने अपनी ही पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को भारत रत्न दिया तो वाजपेई सरकार में उप प्रधानमंत्री रहे पार्टी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को पद्म विभूषण दे डाला। इसी तरह नजर डालें तो पुरस्कार पाने वालों में ज्यादातर भाजपा के करीबी पत्रकार, कलाकार, वैज्ञानिक और नेता हैं।
सीईसी : आदर्श आचार संहिता का सख्ती से कार्यान्वयन हो

सीईसी : आदर्श आचार संहिता का सख्ती से कार्यान्वयन हो

चुनाव आयोग ने राज्यों में एकसमान तरीके से आदर्श आचार संहिता लागू करने के अभाव पर मंगवार को खेद प्रकट किया और कहा कि नियमों को लागू करने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाई में अधिक आक्रामक होने की आवश्यकता है।
कोर्ट के साइबर फैसले से नागरिक गौरवान्वित

कोर्ट के साइबर फैसले से नागरिक गौरवान्वित

यह आम बात हो गई है कि भारत के राजनीतिज्ञ कठोर राजनीतिक फैसले लेने से कतराते हैं और उन्हें अदालत के भरोसे छोड़ देते हैं। राजनैतिक, कार्यकारी और विधायी जिम्मेदारियों से यह पलायन ही न्यायिक सक्रियतावाद को जन्म देता है।
जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्‍ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।
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