फरीदाबाद के गांव अटाली में फैली हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। ताजा हालात यह हैं कि अब 150 परिवारों के 12,00 लोग कैंप में रहने के लिए मजबूर हैं। गौरतलब है कि इसी वर्ष 25 मई को अताली में एक मस्जिद के निर्माण को लेकर सांप्रदायिक तनाव फैल गया था। इस वजह से एक गुट ने मुस्लिम समुदाय पर हमला बोला, उनके घर जला दिए और मुसलमान समुदाय गांव छोड़ने पर विवश हो गए।
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश करते हुए हिंदू धर्मगुरुओं तथा मतावलंबियों ने मुसलमानों के साथ मिलकर रोजा रखना शुरू कर दिया है। विकास की दौड़ में पिछड़े इस जिले में एम्स स्थापना की मुहिम के तहत शुरू की गई इस मुकद्दस कोशिश की हर तरफ चर्चा हो रही है।
पहले रेल में दिल्ल्ाी से कांधला लौटते तबलीग जमात के लोगों से मारपीट कर माहौल खराब करने की कोशिश की गई है। जिसके विरोध में शनिवार को हुए प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। हिंसक भीड़ ने जमकर उपद्रव मचाया। बीकानेर एक्सप्रेस पर पथराव किया और आगजनी की कोशिश की गई। इस दौरान कई आला अधिकारी और 16 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए समाजवादी पार्टी के स्थानीय विधायक नाहिद हसन सहित दो हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
अमेरिकी कांग्रेस की ओर से गठित एक आयोग ने कहा है कि साल 2014 में भारत में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिंसक हमलों, जबरन धर्मांतरण और घर वापसी जैसे अभियानों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, भारत सरकार ने इस पर कड़ा एेतराज जताते हुए इसे खारिज कर दिया है। लेकिन मोदी राज में विश्व मंच पर भारत की छवि चमकने के दावों को तगड़ा झटका लगा है।
एक बार फिर पूर्वी दिल्ली के संवेदनशील इलाके त्रिलोकपुरी में शनिवार को एक बार फिर तनाव पसर गया। एक छोटी सी बात हुए विवाद ने जिस तेजी से उग्र रूप ले लिया, उससे यह लगा कि तनाव के बीज इलाके में मौजूद है। दो संप्रदायों के बीच मारपीट और जमकर पथराव हुआ जिससे पूरे इलाके में तनाव बना हुआ है, हालांकि कोई बड़ी वारदात नहीं हुई।
गुजरात सरकार के लिए परेशानी खड़ी करने का साहस रखने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के लिए मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। उनकी संस्था को आर्थिक सहयोग करने वाली अमेरिका की संस्था फोर्ड के खिलाफ केंद्र सरकार ने मोर्चा खोल दिया है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पास सीआइडी की जांच को इरादतन नजरंदाज किया गया। पीएमओ को भेजे गए गोपनीय नोट में कहा गया कि सेना बयान दर्ज कराने को तैयार नहीं है। फिर भी इस पर क्यों नहीं पीएमओ ने कार्यवाई की?
वाम दलों ने भाजपा..आरएसएस गठजोड़ के कार्पोरेट-सांप्रदायिक अभियान का साथ मिलकर विरोध करने का फैसला किया ताकि आने वाले दिनों में देश भर में एकजुट होकर जन आंदोलन शुरू किए जा सकें।