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Search Result : "सामाजिक समीकरण"

योगी के बयान के बाद बदलने लगा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी समीकरण

योगी के बयान के बाद बदलने लगा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी समीकरण

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हिंदूओ के पलायन को बड़ा चुनावी मुददा बनाते हुए भाजपा के फायरब्रांड नेता और सांसद योगी आदित्यनाथ ने धौलाना में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर स्थिति इसी तरह बनी रही तो आने वाले समय में पश्चिमी उत्तर प्रदेश नया कश्मीर बन सकता है। योगी के इस बयान के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सियासी समीकरण बदलने लगा है। माना जा रहा है कि उनके इस उग्र बयान के बाद इलाके में हिंदू वोटो का धु्वीकरण बढ़ सकता है।
अंसारी बंंधुओं के बसपा में जाने से बिगड़ेगा पूर्वांचल का सियासी समीकरण

अंसारी बंंधुओं के बसपा में जाने से बिगड़ेगा पूर्वांचल का सियासी समीकरण

पूूर्वांचल में बाहुबली विधायक मुख्‍तार अंसारी और उनके विधायक भाई सिग्‍बतुल्‍लाह अंसारी के बसपा में जाने से सियासी समीकरण बदल गया है। समाजवादी पार्टी ने पूर्वांचल में जीत की बड़ी उम्‍मीद की थी लेकिन अब भाजपा के लिए फायदा दिखने लगा है।
बुंदेलखंड में जीत के जातिगत समीकरण का फार्मूला क्या विकास में बदल पायेगा

बुंदेलखंड में जीत के जातिगत समीकरण का फार्मूला क्या विकास में बदल पायेगा

कर्ज के बोझ के तले दबे किसानों की व्यथा, स्वास्थ्य संबंधी परेशानी और बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझते उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड के लोगों की समस्याएं खबरों की सुर्खियां तो जरूर बनती हैं लेकिन चुनावी मुद्दा नहीं बन पातीं और अब सवाल यह है कि राजनीतिक दलों के लिए अंतत: जीत के जातिगत समीकरण का फार्मूला क्या विकास की शक्ल ले पायेगा।
सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि देश में कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक है। उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय के मामले में हम कहां खड़े हैं ? सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी यह एक सवाल है जो गणराज्य के लोग राज्य से पूछ सकते हैं।
‘’कोई धर्म हिंसा और वैमनस्य को स्वीकृति नहीं देता’’

‘’कोई धर्म हिंसा और वैमनस्य को स्वीकृति नहीं देता’’

‘धर्म न केवल मनुष्य बल्कि प्राणिमात्र की एकता और सौहार्द्र की सीख देते हैं। अहिंसा और प्रेम हर धर्म के मूल में हैं। समाज का कोई भी धर्म हिंसा और वैमनस्य को स्वी‌कृ‌ति नहीं देता।’ सद्भावना सेवा संस्‍थान एवं इंटरफेथ फाउंडेशन के तत्वावधान में हुए “सामाजिक, धार्मिक परिदृश्यः परिवर्तन और जिम्मेदारियां” विषयक सेमिनार में आए विचारों का लब्बोलुआब करीब-करीब यही था।
सामाजिक परिवर्तन में हमारी जिम्मेदारियों के मद्देनजर राष्ट्रीय संगोष्ठी नौ दिसंब

सामाजिक परिवर्तन में हमारी जिम्मेदारियों के मद्देनजर राष्ट्रीय संगोष्ठी नौ दिसंब

नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटैट सेंटर के गुलमोहर हॉल में सद्भावना सेवा संस्थान एवं इंटरफेथ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 9 दिसंबर, गुरुवार को किया जा रहा है। विषय है- ‘सामाजिक-धार्मिक परिदृश्य - सामाजिक परिवर्तन और जिम्मेदारियां।’
राष्ट्रगान पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से याचिकाकर्ता संतुष्ट

राष्ट्रगान पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से याचिकाकर्ता संतुष्ट

देशभर के सिनेमाघरों में फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान जरूर बजाने और इस दौरान लोगों को सम्मान स्वरूप खड़ा होने के शीर्ष अदालत द्वारा कल दिये गये निर्णय पर भोपाल के याचिकाकर्ता एवं इंजीनियर से सामाजिक कार्यकर्ता बने श्याम नारायण चौकसे ने संतोष व्यक्त किया है।
देश में फिल्मकारों के लिए अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है: प्रकाश झा

देश में फिल्मकारों के लिए अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है: प्रकाश झा

अहम सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर आधारित फिल्म बनाने वाले निर्देशक प्रकाश झा का कहना है कि इस देश में पूरी तरह से राजनीतिक फिल्म बनाना असंभव है, क्योंकि यहां अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।
इंदौर: खुले में शौच के खिलाफ डिब्बा गैंग की अनूठी पहल

इंदौर: खुले में शौच के खिलाफ डिब्बा गैंग की अनूठी पहल

केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चुने गए देश के पहले 20 शहरों में शामिल इंदौर को खुले में शौच के कलंक से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम ने रोको और टोको अभियान शुरू किया है। इस मुहिम के तहत डिब्बा गैंग नाम के विशेष दल बनाए गए हैं, जो खुले में शौच की बुरी प्रवृत्ति को अनूठे ढंग से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।
जादुई छड़ी से सत्ता के चमत्कार

जादुई छड़ी से सत्ता के चमत्कार

सत्तर वर्षों से महान लोकतंत्र के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हमें ही नहीं पूरी दुनिया को सुनाते-समझाते रहे कि उनके पास क्रांतिकारी बदलाव के लिए जादुई छड़ी नहीं होती। इसलिए जनता धैर्य के साथ उन्हें सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के लिए समय दे।
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