मुंबई के 1993 के बम धमाकों के आरोपी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की फांसी पर यूं तो पिछले कई दिनों से राजनीति जमकर हो रही है मगर गुरुवार को उसे फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद तो जैसे नेताओं में बयानबाजी की होड़ ही लग गई।
काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
व्यापमं की जांच आखिरकार सीबीआई के पास पहुंच गई। अब तक करीब 45 जानों की लील चुके इस घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित राज्यपाल तक घिरे हैं। पिछले कुछ दिनों में जिस तेजी से घटनाक्रम बदला है, उससे साफ है कि मध्यप्रदेश की सियासत में भारी उथल-पुथल होनी है।
एनडीए सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव की समाधि बनाने के प्रस्ताव को सियासी नजरिए से देखा जा रहा है। कांग्रेस द्वारा उपेक्षित रहे नरसिंहाराव की मृत्यु के बाद भी यूपीए सरकार ने उनकी समाधि स्थल नहीं बनाया। अब एनडीए सरकार ने यमुना नदी के तट पर एकता स्थल पर राव का एक स्मारक बनाने का प्रस्ताव बनाया है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंन्द्र सिंह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर सियासत नहीं होनी चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्षी पार्टियों के साथ आम सहमति बनाने की एक और कोशिश कर सकती है और फिर से अध्यादेश भी जारी कर सकती है।
राजनीतिक उठापटक के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने नई पार्टी का गठन कर दिया। इसके साथ राज्य में नई सियासत के सूत्रधार भी बन गए हैं। मांझी की नई पार्टी बनाए जाने के बाद से माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल के कई असंतुष्ट नेता जुड़ सकते हैं।
बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के इस्तीफे से सियासी घमासान में नया मोड़ आ गया है। आज विधानसभा में शक्ति प्रदर्शन होना था, जिसके जरिये यह तय होना था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। बिहार विधानसभा अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित कर दी गई।
दिल्ली में चल रहे भारत रंग महोत्सव की शुरुआत इस बार चुनावी सरगर्मियों के बीच हुई। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा आयोजित रंगमंच के इस सबसे बड़े उत्सव को ठंड और कोहरे के प्रकोप से बचाने के लिए इस बार एक महीने आगे सरकाया गया था। लेकिन वक्त की तब्दीली ने इसे दिल्ली चुनाव के ऐन बीच ला पटका।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का तात्कालिक असर तो यही होगा कि मोदी और अमित शाह की लगातार जीत से पस्त पड़े गैर कांग्रेसी विपक्ष में जान पड़ सकती है। यह इसी वर्ष बिहार में होने वाले चुनावों में नजर आ सकता है।