राष्ट्रीय पुरस्कार घोषित हो गए हैं। इसी घोषणा के साथ प्रियंका चोपड़ा का राष्ट्रीय पुरस्कार पाने का ख्वाब टूट गया। मैरी कॉम को लोकप्रिय फिल्म का खिताब तो मिला पर यह फिल्म न श्रेष्ठ फिल्म की श्रेणी में आ सकी न प्रियंका को श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। कंगना रणौत ने क्वीन के लिए बाजी मार ली है।
हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शायर और फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने श्रोताओं से रूबरू होते हुए कई राज जाहिर किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने 1976 तक उन्होंने शायरी शुरू नहीं की थी। उस वक्त वह 31 वर्ष के थे, जबकि इस उम्र में लोग शायरी कर चुके होते हैं। 12 वर्ष की उम्र तक उन्हें सैकड़ों और 15 वर्ष की उम्र तक उन्हें लाख से ज्यादा शेयर याद थे। वह अपने को खुशकिस्मत मानते हैं क्योंकि लखनऊ में अपने ननिहाल में उन्हें अपने मामा मजाज साहब समेत उस दौर के तमाम नामी शायरों का साथ मिला, जिनके साथ वह बच्चों की तरह रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने में योगदान के लिए आज मॉरीशस की सराहना की और कहा कि इस भाषा ने विश्व में एक विशेष स्थान हासिल कर लिया है।
विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।
निर्भया पर बनी विवादित फिल्म की ब्रितानी फिल्मकार का कहना है कि सामूहिक बलात्कार पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर भारत का प्रतिबंध बहुत लंबा नहीं चलेगा। यह विचार फिल्मकार लैस्ली उडविन ने अमेरिका में पीटीआइ-भाषा के सामने व्यक्त किया।
सोलह दिसंबर के बहुचर्चित सामूहिक बलात्कार कांड के एक मुजरिम के साक्षात्कार से जुड़ी विवादास्पद डॉक्यूमेंटी के प्रसारण पर लगी रोक हटाने की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी है।
लेस्ली उडविन की फिल्म इंडियाज डॉटर में महिला विरोधी टिप्पणी करने वाला एक वकील सीना जोरी पर उतारू हो गया है। वकील का कहना है कि गलत वह नहीं बल्कि वे लोग हैं जिन्होंने फिल्म पर पाबंदी के बावजूद उसे देखा है। वकील को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने नोटिस भेज कर सफाई मांगी है। लेकिन वकील का कहना है कि उसे अभी कोई नोटिस नहीं मिला है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सरकार से बीबीसी के वृतचित्र के प्रसारण पर लगाये गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। इस वृतचित्र में 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार एचं हत्या के बाद की स्थिति को दर्शाया गया है। गिल्ड ने कहा है कि यह कदम गैर जरूरी था।