कर्नाटक सरकार ने आईएएस ऑफिसर डी.के. रवि की मौत का मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्य विधानसभा में यह घोषणा की। विपक्षी दल और रवि के परिवार के लोग शुरू से ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे जबकि सरकार ऐसा नहीं चाहती थी।
कर्नाटक में एक युवा और जोशीले आइएएस अधिकारी डी.के. रवि की अप्राकृतिक मौत एक अप्रत्याशित अंत में तब्दील हो गई है। पूरे देश के मध्य वर्ग को नेताओं और नौकरशाहों में अपना नायक तलाशने की आदत हो गई है, इससे बुरी तरह विचलित है। भारत में लगातार बढ़ता यह वर्ग यथास्थिति कायम रखने का पक्का समर्थक है और समस्याओं की जड़ तलाशने एवं उनके समाधान का प्रयास करने से इनकार करता रहा है। यह समस्या के लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करने और उनके आसान हल तलाशने में ही खुश रहता है और खुद को अपने नायक की भक्ति में व्यस्त रखता है।
यह एक ब्रांड की तरह ऐसी छवि बनाता है जिससे मुक्त हो पाना लगभग असंभव है। भारत में तो इससे बाहर निकल पाना और भी मुश्किल है क्योंकि यहां हर पड़ोसी के पास खास निगाहें, कान और जुबान है। जहां देखने वाले रात में खिड़की के पर्दों के पीछे से इंतज़ार करते हैं कि कौन कब घर लौटता है। कौन किससे मिलने आ रहा है। ख़ास तौर पर तब जब घर में कोई दूसरा न हो। बलात्कार की पीड़ा भोग चुके लोग खास तौर पर इसे जानते हैं क्योंकि यह जो भी सकारात्मक या रचनात्मक है उस पर धब्बा लगा देता है। सार्वजनिक कामों में इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। अगर ‘पार्क स्ट्रीट बलात्कार पीड़ित’ की बात की जाए तो तब वह एक जीवंत पार्टीपसंद लड़की थी, जिसे नाइटक्लब पसंद थे। उसने एक छोड़ी की भूल की जिसने उसकी सारी ज़िंदगी बदल दी। वैसे भी जीवंत पार्टीपसंद लड़कियां आधी रात के आसपास सबके निशाने पर होती हैं। ख़ास तौर पर तब संदेहास्पद पहचान वाले शिकारी घूमते रहते हैं।
कर्नाटक के ईमानदार आइएएस अफसर डीके रवि की मौत का मामला राज्य की विधानसभा से लेकर देश की संसद तक में गूंज चुका है। राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन रवि की मौत के राज से अब तक पर्दा नहीं हट पाया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कर्नाटक के आईएएस अधिकारी डी.के. रवि की रहस्यमयी मौत के मामले की सीबीआई जांच कराने की सलाह राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को दी है।
उत्तर प्रदेश में रायबरेली के पास जनता एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने पर 31 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं। यह ट्रेन देहरादून से वाराणसी जा रही थी।
पुलिस ने स्वीडन के गोथनबर्ग शहर में एक रेस्तरां में हुई गोलीबारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि कई लोग इस गोलीबारी का शिकार बने हैं और कम से कम दो लोगों की मौत हुई है।
बेंगलूरू में आइएएस अफसर डीके रवि की मौत ने कई सवाल पैदा किये हैं। रवि की छवि एक ईमानदारी अधिकारी की थी। उनकी सख्ती की वजह से रेता और खनन माफिया के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई थीं। माना जा रहा है कि उनकी हत्या के पीछे भी माफिया का हाथ है।
इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के मंजूनाथ और नरेंद्र कुमार सिंह समेत देश के कई राज्यों में ईमानदार अफसर अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ को अपनी ईमानदारी की वजह से दूसरी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।
जिस तरह से भारत में भ्रष्टाचार संस्थागत रूप लेता जा रहा है इसने ईमानदार और उसूल वाले लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
कर्नाटक के आइएएस अधिकारी डीके रवि की मौत की सीबीआइ से जांच कराने की मांग आज संसद के दोनों सदनों में उठने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से ऐसा कहे जाने पर केंद्र तुरंत इसका आदेश देगा।