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वर्दी और बंदूक के लिए बनते हैं नक्सली: अध्ययन

वर्दी और बंदूक के लिए बनते हैं नक्सली: अध्ययन

नक्सल प्रभावित राज्यों में हुए एक अध्ययन के मुताबिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के नवयुवक सैनिकों की तरह पोशाक और हथियार के मोहवश नक्सल आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के रक्षा विज्ञान विभाग के प्रमुख गिरीश कांत पांडेय के नेतृत्व में शोधार्थियों का एक दल शोध कर रहा है और यह जानने का प्रयास कर रहा है कि युवा वर्ग नक्सली आंदोलन के प्रति क्यों आकर्षित हो रहे हैं।
हिंदी दिवस पर कवियों का जुटान

हिंदी दिवस पर कवियों का जुटान

कवि-कहानीकारों के लिए वैसे तो हर दिन हिंदी का दिन होता है। लेकिन साल में एक दिन खास मनाया जाता है जो हिंदी के लिए कोने-कोने में प्रयासरत लोगों को एक मंच पर जुटा लाता है।
आईआईटी-मद्रास को देनी पड़ी छात्र समूह को मान्‍यता

आईआईटी-मद्रास को देनी पड़ी छात्र समूह को मान्‍यता

कई दिनों चले विवाद के बाद आईआईटी-मद्रास ने अंबेडकर-पेरियार स्‍टडी सर्किल की मान्‍यता फिर से बहाल कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की आलोचना को लेकर इस छात्र संगठन के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। लेकिन मामला तूल पकड़ता देख संस्‍थान को अपना फैसला बदलना पड़ा।
कैबिनेट के निर्णय: फिर जारी होगा भूमि अध्यादेश

कैबिनेट के निर्णय: फिर जारी होगा भूमि अध्यादेश

भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहें ‌कि भूमि विधेयक उनके लिए जीवन मरण का प्रश्न नहीं है मगर केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार को फैसला लिया कि भूमि अध्यादेश फिर से जारी होगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को यह अध्यादेश फिर भेजा जाएगा।
दिल्ली-एनसीआर में पुराने डीजल वाहनों पर 13 जुलाई तक राहत

दिल्ली-एनसीआर में पुराने डीजल वाहनों पर 13 जुलाई तक राहत

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को चलाने पर पाबंदी के अपने आदेश पर रोक 13 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी। प्राधिकरण ने इस मामले में अंतिम सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तारीख तय की है।
निर्यात हिंदुत्व और जाति का

निर्यात हिंदुत्व और जाति का

जातिगत उत्पीडऩ और भेदभाव के खिलाफ मुखर होता दलित डायस्पोरा इससे चिंतित।भारतीय डायस्पोरा का यह दलित स्वर या दलित डायस्पोरा दुनिया के तमाम बड़े देशों में धीरे-धीरे मजबूत होता दिख रहा है। गैर दलित डायस्पोरा ने तो बड़ी तादाद में (सबने नहीं) अपनी राजनीति स्पष्ट कर दी है, अपना झुकाव स्पष्ट कर दिया है, दलित डायस्पोरा अभी उसके साथ खड़ा नहीं दिख रहा। भारत की नई सरकार से उसे भी अपेक्षाएं हैं। वह भी बेहतर सुविधाओं और व्यापार की संभावनाओं के प्रति आशावान है लेकिन जाति तथा जातिगत उत्पीडऩ के सवाल पर फिलहाल कोई समझौता करता नहीं दिखता।
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