भारत भर के तमाम पाठक, लेखक, प्रकाशक और पुस्तक मेले के प्रशंसक हर बरस मेले की बाट जोहते हैं। इस साल यह मेला हर साल की तरह प्रगति मैदान में 9 से 17 जनवरी 2016 को होगा।
बंसी कौल ने कला जगत में कई बिरवे रौंपे। ये रौंपे अब वृक्ष बन कर लहलहा रहे हैं। अभिनय की नाल से निकले हजारों खिले हुए कमलों ने उनका नाम रोशन कर दिए। उन्हीं बंसी कौल के रंगकर्म पर हुआ अनूठा कार्यक्रम।
हरियाणा के पलवल के पास मंगलवार को कोहरे के बीच एक लोकल टेन लोकमान्य तिलक हरिद्वार एक्सप्रेस से टकरा गई जिससे एक टेन के चालक की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है कि देश में केंद्र में किसकी और राज्य में किसकी सरकार है। खास कर जब धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन की बात होगी। यह तय है कि बिना किसी भेदभाव के राज्य के पर्यटन स्थलों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
बिहार चुनाव 2015 नें राजनीति में कई मानक गढ़े है। इस चुनाव में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह की मजबूत जोड़ी को शिकस्त दी है। राजनीतिक विश्लेषक एवं प्रबुद्व पत्रकार इसे देश की राजनीतिक को भी प्रभावित करने की बात करते है।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित दीपावली मिलन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पत्रकारों ने जमकर सेल्फी ली वहीं प्रधानमंत्री पत्रकारों के उत्साह से खुश नजर आ रहे थे।
आम भाषा में कहा जाए तो अब रसोइयों को भी पद्मश्री पुरस्कार मिल सकेगा। देश के नामी-गिरामी शेफ जिन्होंने भारत के साथ विदेश में भी नाम कमाया है उन्हें पद्मश्री दिए जाने की सिफारिश संस्कृति मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को भेजी है।
बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अब भाजपा में विरोध के स्वर लगातार उभर रहे हैं। भाजपा सांसद भोला सिंह ने अपनी ही पार्टी पर मंगलवार को आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा बिहार में केवल हारी नहीं है, बल्कि घुटने तक पानी में डूब गई है।
बिहार चुनाव के नतीजों पर विचार विमर्श करने के लिए आज हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद भाजपा ने बिहार में हार के लिए किसी भी नेता को जिम्मेदार ठहराने की बात को खारिज करते हुए इस आलोचना को भी नकार दिया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा संबंधी बयान ने हार में एक बड़ी भूमिका अदा की।
चुुनाव अपने यहां सचमुच उत्सव हैं। चुनाव लडऩे-लड़ाने वालों को छोडक़र सभी इसको इंज्वॉय करते हैं। और बिहार चुनाव तो उत्सवों के समय ही होते रहे। दशहरा, दीपावली- सबको निबटाते हुए चुनाव में भागीदारी का अलग ही आनंद है। बिहार का आदमी थोड़ा हटकर भी होता है। वह अमेरिकी चुनाव को लेकर भी अंदर की खबरें जानता-समझता है। इस मामले में भुच्च बिहारी भी इंटरनेशनल है। इसलिए कोई यह कैसे सोच सकता है कि अपने घर में हो रहे चुनाव के अंदर की खबरें उसके पास नहीं होंगी।