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यूपी में न तो कानून बचा है न व्यवस्था, प्रदेश ने ऐसा कुशासन पहले कभी नहीं देखा: अखिलेश

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उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की जेल में सोमवार को कुख्यात डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या...
नरोदा पाटिया दंगे में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी बरी, बाबू बजरंगी की सजा बरकरार

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गुजरात में 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में गुजरात हाइकोर्ट ने राज्‍य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी...
आईफा स्पेन में दिखेगा बॉलीवुड का जादू

आईफा स्पेन में दिखेगा बॉलीवुड का जादू

स्पेन की राजधानी मैड्रिड में अंतरराष्ट्रीय फिल्म अकादमी (आईफा) पुरस्कार का जश्न मनाने के लिए बॉलीवुड तैयार है। इस सप्ताहंत में यहां आईफा समारोह आयोजित किया जाएगा।
बॉलीवुड का दिसंबर कैसा होगा

बॉलीवुड का दिसंबर कैसा होगा

ईद, दिवाली के बाद बॉलीवुड अपना सबसे बड़ा दांव साल के आखिर में खेलता है। ईद पर बजरंगी भाई जान और दिवाली पर प्रेम ने अपना कब्जा जमाए रखा। दोनों ही मौकों पर बॉक्स ऑफिस पर भरपूर सिक्के बरसते हैं।
इशारों में ढलेगी बजरंगी भाईजान

इशारों में ढलेगी बजरंगी भाईजान

बोलने-सुनने में अक्षम लोगों के लिए यहां चलाया जा रहा पुलिस सहायता केंद्र बॉलीवुड सितारे सलमान खान की मुख्य भूमिका वाली फिल्म बजरंगी भाईजान को सांकेतिक भाषा में डब करने की तैयारी में जुटा है।
मुझ से पहले माउंटेन मैन दशरथ मांझी को मिले अवार्ड

मुझ से पहले माउंटेन मैन दशरथ मांझी को मिले अवार्ड

साधरण कद-काठी, साधारण चेहरा-मोहरा। सांवली रंगत लेकिन जन्मजात सहज अभिनय करने की कुशलता। यह हैं, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे बुढाना में जन्में और पले-बढ़े नवाजुद्दीन सिद्दीकी। नवाजुद्दीन किसी बड़े फिल्मी परिवार से नहीं हैं, न ही उनका बॉलीवुड में कोई गॉडफादर रहा। अपने दम पर नाम और शोहरत कमाने वाले नवाजुद्दीन के लिए यह सब बहुत आसान नहीं था। मुजफ्फरनगर में रहते हुए जहां उनके पास मनोरंजन के लिए टीवी नहीं था, उन्होंने लोक कलाकारों के बीच तमाशा, रामलीला देखते हुए अपना बचपन बिताया। नवाजुद्दीन उन्हीं कलाकारों की तरह होना चाहते थे। वैसे ही बनना चाहते थे। पर कैसे यह उन्हें उस वक्त पता नहीं था। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से स्नातक के बाद उन्होंने कई तरह की नौकरियां कीं। यहां तक की चौकीदार की भी। फिर भी अभिनय की भूख थी कि खत्म नहीं हुई थी। विपरीत परिस्थितियों ने उन्हें और मजबूत कर दिया। इसी बीच उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के बारे में पता चला और बस अभिनय के गुर सीखने वह यहां चले आए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में रहते हुए उन्होंने कई नाटकों को करीब से जाना। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से कोर्स पूरा करने के बाद दिल्ली में ही उन्होंने कई नाटक किए और फिर वहीं चले आए, जो अभिनय की दुनिया में स्थापित होने के लिए मक्का है, मुंबई। एक लंबे संघर्ष के बाद खुरदुरे चेहरे वाला यह अभिनेता निर्माता-निर्देशक की पहली पसंद बनता जा रहा है। ब्लैक फ्राइडे, गैंग्स ऑफ वासेपुर, तलाश, बदलापुर, बजरंगी भाईजान के बाद अब सभी की निगाहें उनकी आने वाली फिल्म मांझी- द माउंटेनमैन पर टिकी हुई हैं।
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