भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन को आशंका है कि ग्रीस संकट के कारण रुपये की सेहत बिगड़ेगी। हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि भारतीय अर्थव्यवस्था जोर पकड़ने लगी है।
ग्रीस में सोमवार से एक सप्ताह तक सभी बैंक बंद रहेंगे क्योंकि वहां का आर्थिक संकट गहरा गया है। ग्रीस को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कर्ज का भुगतान करने के लिए 30 जून तक का समय दिया है और इसे देखते हुए सरकार ने एटीएम से सिर्फ 60 यूरो यानी 65 डॉलर निकालने की पाबंदी लगा दी है।
वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी की सटीक भविष्यवाणी करने वाले अर्थशास्त्री और आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि विश्व अर्थव्यवस्था के सामने 1930 जैसी महामंदी का खतरा पैदा हो सकता है।
मौसम विभाग के अनुमानों पर पानी फेरता हुए मानसून पिछले हफ्ते भर से श्रीलंका के आसपास ठहरा हुआ है। मौसम विभाग ने अब 4 जून तक मानसून के केरल तट पर पहुंचने की उम्मीद जताई है।
के.वी. कामथ के नाम से बेहतर पहचाने जाने वाले आईसीआईसीआई के अध्यक्ष कुंडापूर वामन कामथ जल्दी ही उस नए विकास बैंक की अध्यक्षता संभालने वाले हैं जिसे ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) ने गठित किया है। यह बैंक शंघाई में स्थित होगा और उदीयमान देशों को इनफ्रास्टक्चर परियोजनाओं के लिए वित्त उपलब्ध कराएगा। इसे विश्व बैंक के विलोम के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि तेजी से विकासशील ब्रिक्स देशों का पूरी विश्व अर्थव्यवस्था में 5वां हिस्सा है और वे दुनिया की आबादी का 42 प्रतिशत है।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के एक साल पूरे होने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली सरकार के एक साल के लेखे-जोखे के साथ शुक्रवार को मीडिया के सामने आए। वैसे लोगों को उम्मीद थी कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर सामने आएंगे मगर ऐसा नहीं हुआ। जेटली ने पहले सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और फिर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने ब्लॉग में देश की आर्थिक तरक्की का जिक्र किया है और इसमें कृषि को छोड़ अन्य दूसरे क्षेत्रों का योगदान बताया है। लेकिन उन्होंने यह जिक्र करना शायद उचित नहीं समझा कि पिछले जिस दशक के दौरान अर्थव्यवस्था में सबसे तेज विकास हुआ, उसी अवधि में रोजगार की विकास दर सबसे धीमी क्यों रही?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत और चीन के बीच मजबूत एवं व्यापक साझेदारी पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि दोनों पड़ोसी के बीच सौहार्दपूर्ण भागीदारी एशिया के आर्थिक विकास और राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
चौ. टिकैत के आन्दोलन में न तो नेताओं की भरमार थी और न पदाधिकारियों की कतार। इस आन्दोलन में शामिल हर व्यक्ति सिर्फ किसान था। चौ. टिकैत जनता के बीच से आए थे और अाखिरी दम तक जनता के बीच रहे। यही सादगी और खरापन उनकी पहचान बन गया। उनकी मृत्यु के बाद किसान आन्दोलन में पैदा खालीपन की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है।