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आर्थिक मोर्चे पर सावधान!

आर्थिक मोर्चे पर सावधान!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा दोनों के लिए आर्थिक मुद्दों और रोजगार के संकट को हल करने की...
दीवार पर लिखी इबारत

दीवार पर लिखी इबारत

प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान करते वक्त जो मकसद बताए थे, वे रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में खारिज होते दिखते हैं। अगर सरकार हकीकत को स्वीकार किए बगैर अपने तर्क देती रही तो अच्छे दिन की ओर बढ़ना आसान नहीं होगा।
पीएम मोदी को चिदंबरम की चुनौती, कहा- नोटबंदी नाकाम रही यह स्वीकार करने का साहस दिखाएं

पीएम मोदी को चिदंबरम की चुनौती, कहा- नोटबंदी नाकाम रही यह स्वीकार करने का साहस दिखाएं

चिदंबरम का मानना है कि नोटबंदी के फैसले से 1.5 लाख रोजगारों का नुकसान हुआ और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.4 प्रतिशत अंक तक की कमी आई है।
मीरा कुमार ने कहा- बाबूजी ने मुझे सिद्धांतों के लिए लड़ना सिखाया

मीरा कुमार ने कहा- बाबूजी ने मुझे सिद्धांतों के लिए लड़ना सिखाया

विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज बाबू जगजीवन राम को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए नमन किया। इनसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी वंचितों के मसीहा के तौर पर देखे जाने वाले बाबू जगजीवन राम को श्रद्धांजलि दी।
यह है मैक्सिमम गवर्नमेंट!

यह है मैक्सिमम गवर्नमेंट!

पिछले कुछ समय से सरकार जाने-अनजाने जिस तरह नए नियम-कायदे और प्रक्रियाओं का दायरा बढ़ा रही है, नई-नई बंदिशें लगा रही है, वह उदारीकरण के दौर से यू-टर्न जैसा दिखता है।
आर्थिक सुधारों को मिल रहा भारी जनसमर्थन: जेटली

आर्थिक सुधारों को मिल रहा भारी जनसमर्थन: जेटली

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शनिवार को कहा कि भारत में पहली बार आर्थिक सुधारों को व्यापक जन समर्थन प्राप्त हुआ है। हाल के चुनाव नतीजे इसका संकेत देते हैं।
सीपीईसी का कश्मीर मामले से कोई सीधा संबंध नहीं है: चीन

सीपीईसी का कश्मीर मामले से कोई सीधा संबंध नहीं है: चीन

चीन ने पीओके से होकर गुजरने वाले रणनीतिक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे :सीपीईसी: को लेकर अपना बचाव करते हुए कहा कि इसका कश्मीर मामले से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है क्योंकि यह एक आर्थिक उपक्रम है। भारत ने सीपीईसी को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष - मलावी की रंजकहीनता विकास को एक चुनौती

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष - मलावी की रंजकहीनता विकास को एक चुनौती

विश्व स्वास्थ्य संगठन 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाता है। ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ के मौके पर अगर हम विभिन्न देशों के विकास, रहन-सहन और सेहत पर कोई टिप्पणी करें तो उसमें हमें मलावी की रंजकहीनता पर जरुर कुछ जानने की जरुरत है। कैसे यह देश रंजकहीनता की त्रासदी झेल रहा है। विकास के ढेकेदार आधुनिकता के लाख दावे कर लें पर अभी भी इस जहां में कितने लोग ऐसे हैं जो एक सामान्य जीवन को पाने को तरस रहे हैं। पिछले कई सालों में देश-विदेश हर जगह कई ऐसी बीमारियों के बारे में सुनने को मिला, जिसका नाम हमने पहले कभी नहीं सुना था जैसे इबोला, चिकनगुनिया, बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू आदि। इन बीमारियों ने देश-विदेश हर जगह लोगों के बीच अपना पांव पसार लिया है। इन बीमारियों से ग्रसित लोगों की परेशानियों और मृत्यु दर के आंकड़ों को देखकर यह अनुमान लगाया गया कि ये रोग कितने घातक साबित हो रहे हैं। ऐसी बीमारियों से पीड़ित लोग इनके बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण या फिर गलत इलाज होने के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। ऐसा कहा जाना गलत न होगा कि कुछ देशों की खुशहाली पूरे दुनिया की रौनक नहीं कही जा सकती। आज भी कहीं-कहीं मानव समाज में गरीबी, भूख, कुपोषण का घनघोर अंधेरा व्याप्त है। इसी बानगी में आप मलावी की रंजकहीनता को जानेंगे तो आपको निराशा होगी।
आर्थिक हितों पर हानिकारक असर पड़ने का बहाना कर नोटबंदी का ब्यौरा नहीं दिया

आर्थिक हितों पर हानिकारक असर पड़ने का बहाना कर नोटबंदी का ब्यौरा नहीं दिया

सरकार ने विदेशों में जमा कालेधन समेत कर चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को सतत प्रक्रिया बताया है लेकिन 500 रूपये और 1000 रूपये के पुराने नोटों को अमान्य करने के निर्णय एवं बैठकों से जुड़ा ब्यौरा यह कहते हुए देने से इंकार किया है कि ऐसी सूचना जारी करने का देश के आर्थिक हितों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
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