गोवा फिल्म उत्सव की राह बेसब्री से देखी जाती है। पूरी दुनिया की बेहतरीन फिल्में, मंजे हुए निर्देशक, देश-विदेश के नामी कलाकारों के बीच सीखने को आतुर युवा, फिल्मी दुनिया में नाम कमाने की हसरत लिए हुए लेखक, अभिनेता भी यहां जुटते हैं। इस बार इस आउटलुक के लिए एक फिल्म निर्देशक के नजरिये से देश के सबसे बड़े फिल्म उत्सव का लेखा-जोखा।
देश में पहली बार अशक्त लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव का आयोजन हो रहा है। इस आयोजन को भारत सरकार का सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय करा रहा है।
मुख्यधारा के कलाकारों कंगना रणौत, राजकुमार राव, आलिया भट्ट और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने 17वें जियो मामी मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में शिरकत करते हुए इस आयोजन के प्रति अपना समर्थन जताया। यह आयोजन स्वतंत्र फिल्मकारों को अपना काम दिखाने के लिए मंच उपलब्ध करवाता है।
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी -लेनिनवादी (नेकपा-एमाले) के खडग प्रसाद शर्मा ओली को देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया है। तिरेसठ वर्षीय ओली साल 2006 की जनक्रांति के तत्काल बाद बनी गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली सरकार में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बने थे। संविधान बनने के बाद प्रधानमंत्री ओली के सामने कई चुनौतियां भी हैं। नेपाल में संविधान संशोधन को लेकर मधेशियों का आंदोलन पूरा जोर पकड़ चुका है। नए संविधान की मंजूरी से पैदा ताजा मधेशी संकट और प्रधानमंत्री बनने से कुछ दिन पहले ही आउटलुक के विशेष संवाददाता ने ओली से मुलाकात की थी। कई मुद्दों पर बातचीत हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के एक विवादित बयान से राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई है। उन्होंने एक टेलीविजन इंटरव्यू में कह दिया कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम मुस्लिम होने के बावजूद एक राष्ट्रवादी और महान मानववादी थे।
हिंदी फिल्म जगत के महान कलाकार गुरूदत्त, वहीदा रहमान और माला सिन्हा की अदाकारी से सजी कालजयी फिल्म प्यासा को अगले महीने होने वाले वेनिस फिल्मोत्सव के लिए फिर से इसके मूल स्वरूप में ढाला गया है।
कैमरे पर सच दिखाने की हिमाकत का नतीजा यह रहा कि कोलकाता पुलिस गौतम कुमार विश्वास को बालों से नोचती हुई घसीट कर ले गई। उन्हें जहां चाहा मारा। लातें, घूसे सब। गौतम कोलकाता के फ्रीलांस पत्रकार हैं, जो पुलिस और प्रशासन की पोल खोलती फिल्में बनाते हैं। जान की परवाह किए बिना भ्रष्ट तंत्र से टकराने वाले गौतम के महीने के आधे से ज्यादा दिन अदालतों में जाते हैं। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा वकीलों को जा रहा है लेकिन फिर भी गौतम इस घुन लगी व्यवस्था के आगे न झुकते हुए बखूबी अपना काम कर रहे हैं।