भारतीय शेयर बाजार में कारोबारी सप्ताह के तीसरे दिन सेंसेक्स ने अपने 31 वर्ष के सफर में 30 हजार के जादुई आकड़े को पार कर लिया है। इससे पहले सेंसेक्स ने मार्च 2015 और 5 अप्रैल 2017 में इस स्तर को पार किया था।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी जबकि अगले दो वित्त वर्ष में यह बढ़कर 7.7 प्रतिशत तक रहेगी।
कांग्रेस ने जीडीपी आंकड़ों को हैरानी भरा और बेहद संदेहास्पद बताया है जो कि भारत की वैश्विक साख को खत्म कर सकता है और साथ ही प्रधानमंत्री तथा वित्त मंत्री पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया।
नोटबंदी से बने गतिरोध की वजह से भारत की सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: वृद्धि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 प्रतिशत रह सकती है जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह और धीमी पड़कर 5.7 प्रतिशत रह सकती है। नोमुरा की रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।
भारत की कुल 58 प्रतिशत संपत्ति पर देश के मात्र एक प्रतिशत अमीरों का आधिपत्य है जो देश में बढ़ती आय विषमता की ओर संकेत करता है। यह आंकड़ा वैश्विक 50 प्रतिशत के आंकड़े से अधिक है। यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ के अनुमान के आंकड़े जारी कर दिए हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि वर्ष 2015-16 में यह 7.6 फीसदी पर थी। गौर हो कि पिछली क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने भी ग्रोथ की रफ्तार के अनुमान को 0.5 फीसदी घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया था। 7.1 फीसदी विकास दर का अनुमान पिछले 3 साल का निचला स्तर है।
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद इस वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी के 3.5 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान लगाया जा रहा है। अभी तक 2017 के वित्तीय वर्ष में घरेलू अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी कर रही थी। इस तरह नोटबंदी के बाद देश की जीडीपी की वृद्धि की गति लगभग आधे रहने की आशंका है।
उद्योगपति मुकेश अंबानी लगातार नौंवे साल देश के सबसे अमीर व्यक्ति का तमगा हासिल करने में सफल रहे हैं। फोर्ब्स इंडिया के अनुसार अंबानी की कुल संपत्ति तेजी से बढ़ती हुई 22.7 अरब डॉलर पर पहुंच गई। इस तरह अंबानी की परिसंपत्तियां एस्टोनिया की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर हो गई।
सूखा और खनन व निर्माण क्षेत्र की धीमी गति के चलते विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 7.1 प्रतिशत रह गयी है जो कि पिछली छह तिमाही में सबसेे कम है। जीडीपी में वृद्धि का ताजा स्तर वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.5 प्रतिशत की अपेक्षा कम है।