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प्रियंका के आने से कांग्रेस मुक्त भारत में देर होगी : बाबा रामदेव

प्रियंका के आने से कांग्रेस मुक्त भारत में देर होगी : बाबा रामदेव

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए कमर कस ली है। चंडीगढ़ में हुआ योग उत्सव उसी की कड़ी है। तैयारी के लिए बाबा रामदेव पहुंच चुके हैं। प्रेस कान्फ्रेंस में उन्होंने कहा प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस मुक्त भारत होने में देर हो सकती है।
इस पत्रकार ने बताया कैसे मुमकिन हुआ स्वराज

इस पत्रकार ने बताया कैसे मुमकिन हुआ स्वराज

जब हर तरफ सूखे और गर्मी से लोग बेहाल है, तब ऐसे में मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव बघुवार ने पानी बचाने और भूजल सुरक्षित रखने के लिए नई मिसाल कायम की है। हरियाली से भरपूर इस गांव के कुओं और तालाब में इस भीषण गर्मी में भी पर्याप्त पानी है। यह सब संभव हुआ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सिद्धांतों को अपनाकर।
ऐश्वर्या और सोनम ही नहीं, कान में और भी कलाकार बिखेर रहे हैं जलवा

ऐश्वर्या और सोनम ही नहीं, कान में और भी कलाकार बिखेर रहे हैं जलवा

69वें कान फिल्मोत्सव में ऐश्वर्या राय बच्चन और सोनम कपूर जैसी बॉलीवुड हस्तियों के अलावा दूसरे भारतीय फिल्मी सितारे भी समारोह के अलग-अलग कार्यक्रमों में नजर आ रहे हैं।
बेगूसराय में अंतरराष्ट्रीय नाटकों की धूम

बेगूसराय में अंतरराष्ट्रीय नाटकों की धूम

भिखारी ठाकुर पुरस्कार से सम्मानित युवा रंगकर्मी अमित रौशन, राष्ट्रकवि दिनकर की भूमि बेगूसराय के सुपुत्र हैं। वह बिहार थिएटर की दुनिया का ऐसा नाम हैं जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि रंगमंच की नहीं लेकिन जिस शिद्दत से उन्होंने रंगमंच को गले लगाया और उसे जी रहे हैं।
नेशन वॉन्ट्स टू नो, 'क्या है होली’

नेशन वॉन्ट्स टू नो, 'क्या है होली’

खोजी पत्रकार बन गए बच्चे जिद पकड़ बैठे कि होली से पहले मालपुआ का प्रोमो टेस्ट होना चाहिए। अब उन्हें कौन समझाए कि प्रोमो के चक्कर में असली माल पर हाथ साफ करने वालों की कमी नहीं है
होली के मारक महीने में राष्ट्रवाद

होली के मारक महीने में राष्ट्रवाद

कपार पर गुलाल की बिंदी लगाने को ही होली मान लेने वालों को राजद्रोही मानना चाहिए। होली तो ऐसी होनी चाहिए कि अगल-बगल के चार घरों से लोग निकल कर देखें और कहें वाह क्या होली है
विश्व संस्कृति महोत्सव को लेकर जारी खींचतान

विश्व संस्कृति महोत्सव को लेकर जारी खींचतान

संसद से लेकर राष्ट्रीय हरित पंचाट में इस आयोजन के लिए नियमों क अवहेलना करने, सेना का इस्तेमाल करने और पर्यावरण को नुकसान होने के सवाल पर छिड़ी बहस
फिर जी उठे बैजू बावरा

फिर जी उठे बैजू बावरा

11वीं सदी के भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर चंदेरी, जो बुंदेलों और मालवा के शासकों द्वारा बनवाया गया। ऐतिहासिक इमारतों और गुप्त, प्रतिहार, गुलाम, तुगलक, खिलजी, अफगान, गौरी, राजपूत और सिंधिया वंश द्वारा शासित रहा चंदेरी अब खास रेशमी के कपड़ों के लिए भी जाना जाता है। इससे इतर अपने कलात्मक इतिहास के कारण चंदेरी कभी सांस्कृतिक नगरी के रूप में भी जाना जाता था।
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