पॉल बीटी को अमेरिका में नस्ल एवं वर्ग पर आधारित व्यंग्य, द सेलआउट के लिए प्रतिष्ठित मैन बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है। वह यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अमेरिकी लेखक हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ार्इ लड़ने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार में ग्रेजुएशन किया और अब भाजपा इसी में पीएचडी कर रही है। हजारे ने वर्तमान की चुनाव प्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि संविधान में चिन्ह के आधार पर चुनाव करवाने की व्यवस्था नहीं होने के बावजूद इस व्यवस्था से चुनाव हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग से हमारी मांग है कि वो बैलट पेपर से चुनाव चिन्ह हटाए।
संदीप कुमार के सेक्स स्कैंडल को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर वैचारिक हमले किए हैं। लाेकपाल को लेकर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाने वाले अन्ना हजारे ने पूछा है कि क्या यही केजरीवाल का स्वराज है?
जब लेखक और इलस्ट्रेटर मनोज पांडे ने सलमान रश्दी, मार्गरेट एटवुड और तेजू कोले जैसे अपने पसंदीदा लेखकों को उनकी प्रतिक्रिया पाने की आशा में अपने ट्वीट में टैग करना शुरू किया तब वे नहीं जानते थे कि उनकी प्रतिक्रिया भी अपने आप में लघु कहानियां ही होंगी।
इतना तो तय है कि फिलहाल महाराष्ट्र बिहार के रास्ते पर नहीं चल रहा है। महाराष्ट्र के वित्त मंत्री मुनगंटीवार ने शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने को लेकर इनकार कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने महाराष्ट्र सरकार से शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
अण्णा हजारे के जीवन पर एक फिल्म बन रही है। फिल्म का नाम अण्णा है। इस फिल्म का निर्देशन शशांक उडापुरकर ने किया है। इस फिल्म का आधिकारिक पोस्टर लांच किया गया।
दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को अविस्मरणीय छाप छोड़ने वाले उनके उपन्यास द वेजिटेरियन के लिए प्रतिष्ठित मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनका यह उपन्यास एक महिला द्वारा मानवीय निर्ममता को खारिज करने और मांस का सेवन छोड़ने पर आधारित है।
अन्ना के जल संरक्षण मॉडल से उनके गांव वाले ही उनसे नाराज हो गए हैं। अन्ना के सामाजिक जीवन में शायद यह पहली बार हो रहा है। जब उनके अपने लाेगों ने ही उनका विरोध किया है। गांव के किसान वाटर लेबल में सुधार के लिए बोरवेल भरे जाने की अन्ना की मुहिम को दरकिनार करते हुए एकमत होकर कहा है कि हम हर बार अन्ना की नहीं सुनेंगे।
प्रख्यात लेखक और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय ने शनिवार को कहा कि 28 साल पहले मेरठ के हाशिमपुरा में हुए जनसंहार मामले में तत्कालीन सरकार ने पीएसी बल के विद्रोह के डर से समुचित कार्रवाई नहीं की थी और बाद में आई तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने भी पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई गंभीर पहल करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश की।