बिहार में सियासत गरम है। भाजपा और राजद के बीच चल रही तनातनी की बानगी जुबानी जंग में साफ दिखाई दे रही है। भाजपा नेता सुशील मोदी ने अब तेजस्वी यादव की तुलना निर्भया के बलात्कारी से कर दी है। मोदी के ट्वीट के बाद राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो गई है।
बॉलिवुड अभिनेता और भाजपा सांसद परेश रावल की ‘आर्मी जीप’ में बांधने वाले विवादित ट्विट पर लेखिका अरुंधती रॉय ने कहा कि उन्हें इस तरह की टिप्पणी से कोई फर्क नहीं पड़ता। परेश रावल ने ट्वीट कर कहा था कि पत्थरबाज़ को आर्मी की जीप से बांधने के बजाय अरुंधती राय को बांधना चाहिए।
असम की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर किए गए ट्वीट को लेकर केजरीवाल के खिलाफ असम में मानहानि का मुकदमा दर्ज है।
केरल में एक पादरी का महिलाओं के खिलाफ विवादित बयान देने वाला वीडियो सामने आया है, जिसके बाद बवाल शुरू हो गया है। पादरी ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए कहा है कि जींस, टी-शर्ट, शर्ट या फिर मर्दों के कपड़े पहनने वाली लड़कियों को समुद्र में डूबा देना चाहिए।
देश के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन नई दिल्ली पर सुविधाओं को लेकर रेलवे ने काफी सारे दावे किए थे। लेकिन इन दावों की अब धीरे-धीरे पोल खुलती जा रही है। यहां की सुविधाओं को लेकर देश के साथ-साथ विदेशी यात्रियों का फीडबैक भी अच्छा नहीं है।
कॉलमनिस्ट शोभा डे के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लेकर सलाह के रूप में किए गए ट्वीट ने सोशल मीडिया यूजर्स को नाराज कर दिया। शोभा ने ट्वीट कर सुषमा को सलाह दी थी कि वे नए साल में कम ट्वीट करें। 13 जनवरी को किए गए ट्वीट में उन्होंने लिखा, ”सुषमा स्वराज: 2017 के लिए रिजॉल्यूशन- शांत रहिए और ट्वीट करना बंद कीजिए।”
शराब कारोबारी विजय माल्या ने केंद्र की मोदी सरकार के अधीन जांच एजेंसियों पर हमला किया है। विजय माल्या ने ट्वीट कर पीएम मोदी और जांच एजेंसियों पर टिप्पणी की है। उन्होंने ट्वीट किया कि, “भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने के बारे में सोचने वाले हमारे पीएम क्या इस बात की गारंटी ले सकते हैं कि उनके शासन में जांच एजेंसियां निष्पक्ष और सही तरीके से काम कर रही हैं या नहीं?”
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश के परमाणु हथियारों के जखीरे को मजबूती और विस्तार देने से जुड़ा जो ट्वीट किया है, वह ओबामा प्रशासन के खिलाफ बड़े नीतिगत बदलाव का संकेत देता है। ओबामा प्रशासन परमाणु हथियारों में कमी लाने और अंतत: उसके उन्मूलन पर जोर देता रहा है।