नाना पाटेकर को उनके गुस्सैल मिजाज के लिए जाना जाता है, लेकिन वेलकम बैक के उनके साथी कलाकार जॉन अब्राहम का कहना है कि नाना बहुत ईमानदार हैं और उन्हें उनके गुस्से पर बिलकुल गुस्सा नहीं आता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए स्तर की वार्ता से पहले पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को बातचीत के लिए बुलाकर वार्ता को बड़ा झटका दिया है।
आमिर खान का मानना है कि ट्विंकल खन्ना बहुत ही मजाकिया हैं। आमिर ट्विकंल खन्ना के लेखन के प्रशंसक हैं और एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित हो रहे उनके स्तंभ को नियमित रूप से पढ़ते हैं।
प्रसिद्ध निर्देशक आर. बाल्की का फिल्म बनाने का अलग ढंग है। उसी तरह है उनका फिल्मों को अलग तरह के नाम देना। इस बार बाल्की अमिताभ और जया बच्चन को लेकर एक फिल्म बना रहे हैं। नाम रखा है, की एंड का। अब इस नाम के मायने तो फिल्म देख कर ही समझ में आएंगे।
भारतीय जनता पार्टी बिहार में चुनाव जीतने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। पूर्व सांसद साबिर अली के बाद अब चारा घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री आरके राणा के पुत्र अमित राणा को भी पार्टी में शामिल कर लिया है। इसको लेकर भाजपा के ही लोग दबे स्वरों में सवाल उठाते हैं। एक भाजपा नेता के मुताबिक एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में जंगलराज को लेकर निशाना साध रहे हैं तो दूसरी ओर दागियों को ही भाजपा की सदस्यता दिलाने में पार्टी पीछे नहीं हट रही है।
नई फिल्म आने वाली है, तमाशा। निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर का कहना है कि यह ‘इम्तियाज मार्का फिल्म है।’ इस फिल्म में रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण हैं। तमाशा पूरी होने की पार्टी में जब उनसे छोटे भाई आदित्य रॉय कपूर के बारे में पूछ तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता आदित्य को मुझसे किसी सलाह की जरूरत है। वह खुद ही अपने करिअर को बेहतर ढंग से संभाल रहा है। अगर आप एक फिल्म पर लगभग एक साल लगाने जा रहे हैं तो वह अच्छी फिल्म के लिए ही होना चाहिए। ऐसे में फिल्मों के चयन को लेकर संजीदा होना अच्छा है।
द अल्केमिस्ट के लिए पहचाने जाने वाले ब्राजील के उपन्यासकार पाउलो कोएल्हो ने साल 2010 में आई बॉलीवुड अभिनेता शाहरूख खान की फिल्म माई नेम इज खान की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘इस साल जो फिल्में मैंने देखी हैं उनमें यह सर्वश्रेष्ठ है।’
बरेलवी मरकज दरगाह आला हजरत के उलमा ने दहेज मांगने वालों और शादियों में खड़े होकर खाना खिलाने वालों का बहिष्कार करते हुए उनके यहां निकाह न पढ़ाने का फैसला किया है।
यह तो मानना ही पड़ेगा कि चमत्कार एक ही बार होता है। निर्देशक मुजफ्फर अली ने एक बार उमराव जान बना दी और इसी की बदौलत आज तक उनकी पहचान है। जांनिसार में वह यह जादू दोहरा नहीं पाए हैं।