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जानवर की तरह किया जा रहा है पीछा : थम्पू

जानवर की तरह किया जा रहा है पीछा : थम्पू

शोध छात्रा के उत्पीड़न विवाद को लेकर इस्तीफे की बढ़ती मांगों के बीच सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्राचार्य वालसन थम्पू ने मंगलवार को कहा कि मामले में उनका किसी जानवर की तरह पीछा किया जा रहा है। उन्होंने सभी संबद्ध तत्वों से चरित्र हनन नहीं करने को कहा क्योंकि मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है।
स्टीफंस विवाद : थम्पू ने इस्तीफे की पेशकश की

स्टीफंस विवाद : थम्पू ने इस्तीफे की पेशकश की

शोध छात्र के यौन उत्पीड़न मामले को लेकर विवादों में घिरे सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल वालसन थम्पू ने सोमवार को कहा कि अगर यह साबित हो जाए कि संस्थान के लिए वह शर्मिंदगी का कारण बन गए हैं तो इस्तीफा दे देंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लगता है कि इस मामले में शिकायतकर्ता को दिल्ली पुलिस की ईमानदारी पर भरोसा नहीं है।
यौन उत्‍पीड़न केस वापस लेने के लिए पीएचडी का लालच

यौन उत्‍पीड़न केस वापस लेने के लिए पीएचडी का लालच

सेंट स्‍टीफेंस कॉलेज में एक शोध छात्रा के यौन उत्‍पीड़न के मामले में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पीड़‍ित छात्रा ने कॉलेज के प्रिंसिपल वाल्‍सन थंपू के साथ हुई बातचीत के ऑडियो टेप व एसएमएस जारी करते हुए केस वापस लेने का दबाव डालने का आरोप लगाया है।
स्टीफेंस छेड़छाड़ मामला: मंत्रालय ने मांगी डीयू से रिपोर्ट

स्टीफेंस छेड़छाड़ मामला: मंत्रालय ने मांगी डीयू से रिपोर्ट

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सेंट स्टीफेंस काॅलेज के एक प्रोफेसर द्वारा एक शोध छात्रा के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी है।
केरल में एक और एथलीट ने किया आत्महत्या का प्रयास

केरल में एक और एथलीट ने किया आत्महत्या का प्रयास

भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के अधीनस्‍थ केरल के लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ फिजिकल के एक और प्रशिक्षु एथलीट ने आत्महत्या का प्रयास किया है।
चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं। कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने। इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
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