संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सन 2014 सिविल सर्विसेज परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए है। इस बार प्रावीण्य सूची में शुरुआती पांच में से चार लड़कियां है। इन लड़कियों में – पहले स्थान पर ईरा सिंघल, दूसरे पर रेनु राज, तीसरे पर निधि गुप्ता और चौथे स्थान पर वंदना राव ने कब्जा जमाया है। ईरा और निधि गुप्ता दोनों दिल्ली से हैं और वे दोनों ही भारतीय राजस्व विभाग में कार्यरत हैं।
केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह (संघ लोक सेवा आयोग) यूपीएससी परीक्षाओं में ट्रांजेंडरों को शामिल करने के लिए नियम नहीं बना सकता क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने अभी तीसरे लिंग की परिभाषा स्पष्ट नहीं की है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को आदेश जारी किया है कि वह 9 जून तक प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा (पीएमईटी) के नतीजे घोषित न करें क्योंकि हरियाणा पुलिस 4 मई को हुई परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने की जांच कर रही है।
सीबीएसई 12वीं बोर्ड परीक्षा में 82 प्रतिशत परीक्षार्थी पास हुए और लड़कियों ने एक बार फिर से लड़कों से बाजी मारी है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 12वीं कक्षा के परिणाम सोमवार दोपहर 12 बजे घोषित हो गए हैं।
ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्पष्ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में सीटें भले ही 28 जीती और बहुमत से 8 सीटें कम रह गई मगर प्रचार के साफ-सुथरे और गैरपरंपरागत तरीके अपनाकर महज एक साल पुरानी इस पार्टी ने 15 वर्षों से मजबूती से दिल्ली में जमी शीला दीक्षित सरकार का तंबू तो उखाड़ा, इस भ्रम को भी तोड़ दिया कि पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही है।