देश में एक ओर जहां मरीजों को एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिल पा रही हैं, वहीं कर्नाटक में एक सरकारी डॉक्टर एम्बुलेंस का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत कामों में करने का मामला सामने आया है।
पूर्व गृह मंत्री संपत सिंह ने हरियाणा विधानसभा के स्पीकर कंवर पाल सिंह गुर्जर के खिलाफ नोटबंदी के दौरान 500-1000 के पुराने नोट बंटवाने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है।
'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?