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आज का रावण कौन?

आज का रावण कौन?

- ऋषव रंजन रावण सुनते ही हमारे मन में क्या आता है? दस सर वाला रावण, जोर-जोर से हंसने वाला रावण और ना जाने...
‘छत्तीसगढ़ी भाषा’ को लेकर आंदोलन तेज, जंतर-मंतर पर हुआ सत्याग्रह

‘छत्तीसगढ़ी भाषा’ को लेकर आंदोलन तेज, जंतर-मंतर पर हुआ सत्याग्रह

छत्तीसगढ़ी मातृभाषा की लड़ाई अब देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गई है। छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना और छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के सयुंक्त तत्वावधान में बुधवार को बड़ी संख्या में लोग सत्याग्रह के लिए एकजुट हुए।
फेसबुक पोस्ट को लेकर बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा, ममता-केसरी में जंग

फेसबुक पोस्ट को लेकर बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा, ममता-केसरी में जंग

पश्चिम बंगाल में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई हैैै।
स्कूलों में बांग्ला अनिवार्य करने के विरोध में दार्जिलिंग में भड़की हिंसा, सीएम ने बुलाई सेना

स्कूलों में बांग्ला अनिवार्य करने के विरोध में दार्जिलिंग में भड़की हिंसा, सीएम ने बुलाई सेना

एक तरफ देश जहां किसान आंदोलन की चपेट में है वहीं पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में बांग्ला अनिवार्य करने के विरोध में जमकर हिंसा हुई।
देश की पहली ऐसी मस्जिद, जहां मूक-बधिर भी अता कर सकेंगे जुमे की नमाज़

देश की पहली ऐसी मस्जिद, जहां मूक-बधिर भी अता कर सकेंगे जुमे की नमाज़

अक्सर मस्जिदों में लाउडस्पीकर से अज़ान सुनने के बाद ही नमाज पढ़ी जाती है। हाल ही में केरल की एक ऐसी अनोखी मस्जिद के बारे में पता चला है, जो मूक और बधिर लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। इस मस्जिद में हर जुमे की नमाज वे लोग भी पढ़ सकेंगे जो न तो सुन सकते हैं और न ही बोल सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के संभल में सांप्रदायिक तनाव, कई घरों में आगजनी और लूटपाट

उत्तर प्रदेश के संभल में सांप्रदायिक तनाव, कई घरों में आगजनी और लूटपाट

उत्तर प्रदेश के संभल में कल रात कई घरों में आगजनी और लूटपाट की घटनाएं हुई है। क्षेत्र का वातावरण तनावग्रस्त होने के नाम से गांव से पलायन की भी खबर आ रही है।
क्या वाकई राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सिर्फ हिंदी में देंगे भाषण? जानिए पूरा सच

क्या वाकई राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सिर्फ हिंदी में देंगे भाषण? जानिए पूरा सच

राजभाषा पर बनी संसदीय समिति की 9वीं रिपोर्ट की ज्यादातर सिफारिशें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मान ली हैं। लेकिन इन सिफारिशों को जिस तरह प्रचारित किया जा रहा है, उससे हिंदी का भला कम, नुकसान ज्यादा हो सकता है। भाषाई वर्चस्व के जिन आरोपों से उबरने में हिंदी को कई दशक लगे, ऐसे खबरेें उन्हें फिर से जिंदा कर सकती हैं।
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