उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि एक खुले समाज के लिए स्वतंत्र मीडिया जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र प्रेस पर कोई भी हमला नागरिकों के अधिकारों खतरे में डाल सकता है।
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आज कहा कि भारत बाहरी खतरों के साथ-साथ आंतरिक खतरों से भी एकसाथ निपटने को तैयार है। आने वाले समय में यह बात साबित भी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत ढाई मोर्चे (चीन, पाकिस्तान और आंतरिक सुरक्षा) पर युद्ध लड़ने के लिए सक्षम है।
एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय पर सीबीआई की छापेमारी से मीडिया जगत में हलचल तेज हो गई है। सोमवार को प्रणय रॉय पर हुई इस कार्रवाई को लेकर पत्रकारों द्वारा काफी तीखी प्रतिक्रिया दी जा रही है।
एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय पर हुई सीबीआई की कार्रवाई को लेकर कुछ नेताओं के बयान आए हैं। वहीं कुछ नेताओं ने चुप्पी साध ली है। जहां मीडिया जगत में इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण हमला माना जा रहा है, वहीं राजनीतिक हलकों में भी कुछ नेता प्रणय रॉय और एनडीटीवी के समर्थन में उतर आए हैं। लेकिन कई बड़े नेता जो अक्सर अलग-अलग मसलों पर ट्वीट करते रहते हैं उनका यहां मौन रहना समझ से परे है।
चैंपियंस ट्रॉफी में भारत और पाकिस्तान के मुकाबले को लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक गरम है। भारत और पाक के सख्त रिश्तों की वजह से कुछ लोग इस मैच का विरोध कर रहे हैं। हालांकि कुछ लोग इसे खेल भावना से जोड़कर इसका समर्थन भी कर रहे हैं।
क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों रूस के दौरे पर हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री के साथ अजीबोगरीब वाकया हुआ। एनबीसी की रिपोर्टर ने मोदी से पूछा, “क्या आप ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं?” इस सवाल पर पीएम मोदी तो हंस दिए लेकिन सोशल मीडिया पर लोग चटकारे ले रहे हैं।
सांप्रदायिकता का रंग इंसानों पर चढ़ते देखना तो आम है, लेकिन अब यह शरबत में भी कड़वाहट घोलने की तैयारी कर रहा है। कई वर्षों से भारतीय व्रत त्यौहारों और भंडारों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाला, गर्मियों में गला तर करने वाला ‘रूह अफजा’ अब सांप्रदायिकता की चपेट में हैं।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने नोटबंदी को लेकर भारत की आलोचना की है। अखबार ने लिखा है कि भारत का विकास दर 6.1 फीसदी तक घटना नोटबंदी जैसे सुधार उपायों का नतीजा है, जो कि 'अपने पैर पर कुल्हाड़ी' मारने जैसा था।