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सर्वदलीय बैठक 15 को, नोटबंदी-लक्षित हमले और तीन तलाक पर होगी चर्चा

सर्वदलीय बैठक 15 को, नोटबंदी-लक्षित हमले और तीन तलाक पर होगी चर्चा

सरकार ने संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 15 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इसमें नोटों को अमान्य किए जाने, लक्षित हमले और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। विपक्ष इन मसलों पर सरकार पर हावी हो सकता है। आगामी दिनों में चुनाव की रणनीति को तैयार करने के लिहाज से भी यह बैठक सभी दलों के लिए महत्‍वपूर्ण हो सकती है।
न्यूजीलैंड की शानदार शुरूआत, बारिश में धुला तीसरा सत्र

न्यूजीलैंड की शानदार शुरूआत, बारिश में धुला तीसरा सत्र

भारतीय गेंदबाजों ने आज ग्रीन पार्क में पहले क्रिकेट टेस्ट के दूसरे दिन विकेट हासिल करने के लिये कड़ी मशक्कत की लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली और बारिश के कारण अंतिम सत्र का खेल धुलने से पहले न्यूजीलैंड ने एक विकेट पर 152 रन बना लिये।
शीत सत्र नवंबर में बुलाने की तैयारी कर रही है सरकार

शीत सत्र नवंबर में बुलाने की तैयारी कर रही है सरकार

अगले साल से केंद्रीय बजट पेश करने की नई परंपरा शुरू करने की तैयारी कर रही सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस बार संसद का शीत सत्र तय समय से पहले बुलाया जा सकता है। सरकार नवंबर महीने की शुरूआत में ही शीत सत्र बुलाने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रही है। उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव की गहमागहमी को देखते हुए भी इस सत्र की काफी सियासी अहमियत है।
लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ की बहस में पीएम मोदी निर्णायक मोड़ की ओर

लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ की बहस में पीएम मोदी निर्णायक मोड़ की ओर

लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराए जाने की बहस को मोदी सरकार अब निर्णायक मोड़ पर ले जाने वाली है। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से पब्लिक फोरम में इस मुद्दे को रखने और बाद में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भी सहयोग मिलने से केंद्र सरकार अब आम राय के जरिए दूसरे अन्‍य दलों पर मसले में साथ आने का दबाव डालने वाली है। सरकार को 3 दिनों के अंदर 6000 से अधिक लोगों ने अपनी राय दी है। इनमें अधिकतर ने दोनों चुनाव को साथ कराने के प्रस्ताव को समर्थन दिया है।
मोदी का 'अच्‍छे दिन' का नारा गडकरी की नजर में गले की हड्डी

मोदी का 'अच्‍छे दिन' का नारा गडकरी की नजर में गले की हड्डी

2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का नारा था अच्छे दिन। केंद्र में सरकार बने महज एक साल ही हुआ था कि भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने इसे एक जुमला बता दिया था। अब मोदी सरकार के सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 'अच्छे दिन' के नारे को सरकार के गले में फंसी हड्डी बता दिया।
हरियाणा: फिर से आंदोलन शुरू करेंगे जाट

हरियाणा: फिर से आंदोलन शुरू करेंगे जाट

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने मंगलवार को कहा कि राज्य के साथ ही केंद्र की सेवाओं में समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर वे संसद का अगला सत्र शुरू होने पर अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे।
एक साथ चुनाव कराने पर जनता की राय पूछ रही है सरकार

एक साथ चुनाव कराने पर जनता की राय पूछ रही है सरकार

क्या लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना वांछित है। इस सवाल के साथ-साथ सरकार ने इसी मुद्दे से जुड़े अन्य कई सवालों को अपनी वेबसाइट माईगोव डॉट कॉम पर पोस्ट किया है ताकि वह आम जनता समेत सभी लोगों के विचार जान सके। इस मुद्दे पर अपने विचार देने की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर है।
बारिश होने के बावजूद देश के बड़े हिस्से में सूखे का संकट

बारिश होने के बावजूद देश के बड़े हिस्से में सूखे का संकट

लगातार दो सालों तक सूखे के बाद भारत में औसत बारिश हुई है। बारिश अगस्त के अंत तक 100 फीसदी के औसत से 2 प्रतिशत कम थी। लेकिन इसके बावजूद देश के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से में कम बारिश हुई है। जिस कारण से यहां सूखे का संकट उत्पन्न होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
संसद में फिल्मी सितारें : किरण खेर सबसे अधिक सक्रिय, रेखा सबसे सुस्‍त

संसद में फिल्मी सितारें : किरण खेर सबसे अधिक सक्रिय, रेखा सबसे सुस्‍त

अभिनय के मंच से संसद पहुंचने वालों में लोकसभा सांसद किरण खेर की संसद मेंं मौजूदगी सबसे ज्‍यादा है। चंडीगढ़ से भाजपा सांसद खेर सत्र के दौरान सबसे अधिक मौजूद रहीें। उनकी हाजिरी 85% रही। इसके बाद अहमदाबाद पूर्व से भाजपा सांसद परेश रावल, बीरभूम से टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय और नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी का नंबर है। संसद सत्रों में इन सभी की मौजूदगी 76% दर्ज की गई है।
आर्थिक मोर्चे पर धीमी पड़ी रफ्तार, विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हुई

आर्थिक मोर्चे पर धीमी पड़ी रफ्तार, विकास दर घटकर 7.1 फीसदी हुई

सूखा और खनन व निर्माण क्षेत्र की धीमी गति के चलते विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर 7.1 प्रतिशत रह गयी है जो कि पिछली छह तिमाही में सबसेे कम है। जीडीपी में वृद्धि का ताजा स्तर वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.5 प्रतिशत की अपेक्षा कम है।
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