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ब्रिटिश राजनीति की तमिलनाडु घड़ी

ब्रिटिश राजनीति की तमिलनाडु घड़ी

ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्‍पष्‍ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉ‍टिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।
राजनीति की उलटी चाल

राजनीति की उलटी चाल

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में सीटें भले ही 28 जीती और बहुमत से 8 सीटें कम रह गई मगर प्रचार के साफ-सुथरे और गैरपरंपरागत तरीके अपनाकर महज एक साल पुरानी इस पार्टी ने 15 वर्षों से मजबूती से दिल्ली में जमी शीला दीक्षित सरकार का तंबू तो उखाड़ा, इस भ्रम को भी तोड़ दिया कि पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही है।
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