सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हुए 62 एनकाउंटर मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। यह आदेश्ा अदालत ने पांच दर्जन से ज्यादा लोगों के इस एनकाउंटर पर फर्जी होने का शक बढ़ता देख कर दिया है।
'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के 94वें जन्मदिन और विधायक बनने के 60 साल पूरा होने के मौके आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार समेत विपक्षी दलों के कई दिग्गज नेता शामिल हुए।कयास लगाया जा रहा है कि ये एकजुटता राष्ट्रपति चुनाव के लिए तो नहीं है।
क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?