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सिंहस्‍थ में संत गरजे, मोदी को छोड़ो हम नौ नवंबर से बनाएंगे राम मंदिर

सिंहस्‍थ में संत गरजे, मोदी को छोड़ो हम नौ नवंबर से बनाएंगे राम मंदिर

धर्मनगरी उज्‍जैन के सिंहस्‍थ कुंभ में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तिथि तय हो गई है। संतों ने धर्मसंसद में आखिरकार निर्माण पर फैसला कर लिया है। संतों ने गरजते हुए साफ कहा है कि मंदिर निर्माण से मोदी सरकार का कोई लेना देना नहीं है।
राम मंदिर जल्दी न बना तो आंदोलन करेंगे संत

राम मंदिर जल्दी न बना तो आंदोलन करेंगे संत

उज्जैन सिंहस्थ में विश्व हिंदू परिषद के मंडप में बीते दो दिन संतों की बैठक हुई। संत समाज से आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, जूना अखाड़ा सहित कई महामंडलेश्वर, शंकराचार्य आदि शामिल हुए। बैठक में सभी ने विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री चंपत राय से चर्चा की।
यहां कुआं जा रहा प्यासों के पास

यहां कुआं जा रहा प्यासों के पास

वह कहावत तो सुनी ही होगी, प्यासे कुएं के पास जाते हैं। लेकिन उज्जैन सिंहस्थ में कुआं प्यासों के पास जा रहा है। एक समूह ऐसा भी है जो खोज-खोज कर लोगों को पिला रहा है पानी।
सिंहस्थ में क्षिप्रा को जीवन दे रही नर्मदा

सिंहस्थ में क्षिप्रा को जीवन दे रही नर्मदा

मध्यप्रदेश के शहर उज्जैन में 22 अप्रैल से सिंहस्थ मेला शुरू हो रहा है। धार्मिक नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी बहती है जिसमें श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। यह अलग बात है कि क्षिप्रा में पानी की कमी के चलते इसमें नर्मदा का जल मिलाया गया है।
फिर जी उठे बैजू बावरा

फिर जी उठे बैजू बावरा

11वीं सदी के भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर चंदेरी, जो बुंदेलों और मालवा के शासकों द्वारा बनवाया गया। ऐतिहासिक इमारतों और गुप्त, प्रतिहार, गुलाम, तुगलक, खिलजी, अफगान, गौरी, राजपूत और सिंधिया वंश द्वारा शासित रहा चंदेरी अब खास रेशमी के कपड़ों के लिए भी जाना जाता है। इससे इतर अपने कलात्मक इतिहास के कारण चंदेरी कभी सांस्कृतिक नगरी के रूप में भी जाना जाता था।
मनोज कुलकर्णी की कहानी - औघड़ समय

मनोज कुलकर्णी की कहानी - औघड़ समय

मूलतः चित्रकार। अनेक चित्र-प्रदर्शनियों में कला-कृतियां चयनित, प्रदर्शित। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, कविताएं, रेखांकन, समीक्षाएं और कला-लेख प्रकाशित। एक कहानी-संग्रह के अलावा ‘जन-वाचन’ आंदोलन के लिए लिखी कुछ पुस्तकें प्रकाशित। जनवादी लेखक संघ की पत्रिका ‘नया-पथ’ के चित्रकला-विषेषांक के अलावा भारत ज्ञान विज्ञान समिति के लिए ‘ज्ञान विज्ञान वार्ता’ के कुछ अंकों और एक बाल पुस्तक माला का संपादन। बच्चों की किताबों के लिए रचनात्मक रेखांकन। कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों और पुस्तिकाओं के अनुवाद प्रकाशित। सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलनों से गहरा जुड़ाव। घुमक्कड़ी और फोटोग्राफी में गहरी दिलचस्पी।
पूरे विश्व के हैं बंसी कौल

पूरे विश्व के हैं बंसी कौल

बंसी कौल ने कला जगत में कई बिरवे रौंपे। ये रौंपे अब वृक्ष बन कर लहलहा रहे हैं। अभिनय की नाल से निकले हजारों खिले हुए कमलों ने उनका नाम रोशन कर दिए। उन्हीं बंसी कौल के रंगकर्म पर हुआ अनूठा कार्यक्रम।
एक जिद, एक आयोजन

एक जिद, एक आयोजन

यदि फिल्मों का खुमार है तो रंगमंच की दीवानगी भी कुछ कम नहीं है। कुछ तो खास है मंच के इन किरदारों में कि दर्शक बेसब्री से चले आते हैं और इंतजार करते हैं, यवनिका के उठने का।
‘अब क्या’ सोचने का वक्त

‘अब क्या’ सोचने का वक्त

श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर फाउंडेशन के संवाद श्रृंखला 2 में समसामयिक घटना पुरस्कार वापसी और उसके विरोध पर ‘अब क्या’ विषय पर संवाद का आयोजन किया गया। पुरस्कार वापसी का समर्थन और विरोध कर रहे दोनों ही पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी।
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