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Search Result : " आरक्षण"

ये तुम्हारे गले में किसकी आवाज है हार्दिक?

ये तुम्हारे गले में किसकी आवाज है हार्दिक?

गुजरात में अराजकता का नया चेहरा उभरकर सामने आया है जिसकी भाषा तोगड़िया सी है और कार्यशैली केजरीवाल जैसी। जो बंदूक और रिवॉल्वर से प्यार करता है और जिसके समर्थक ओडी तथा मर्सिडीज में बैठकर आरक्षण मांगने आते हैं। कानून उनके लिए कुछ भी नहीं है, अगर उन्हें मनमानी करने से रोका जाता है तो दंगा-फसाद से भी परहेज नहीं करते हैं।
हिंसक हुआ पटेल आंदोलन, अहमदाबाद में 13 साल बाद कर्फ्यू

हिंसक हुआ पटेल आंदोलन, अहमदाबाद में 13 साल बाद कर्फ्यू

प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज और हार्दिक पटेल को हिरासत में लेने के बाद गुजरात में पटेल आंदोलन हिंसक हो गया। कई शहरों में हिंसक झड़पों और आगजनी के बाद देर रात कर्फ्यू लगाना पड़ा। स्थिति पर काबू पाने के लिए अर्धसैनिक बलों की मदद ली जा रही है। गुजरात के प्रमुख शहरों में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है।
हार्दिक पटेल हिरासत में, समर्थकों पर लाठीचार्ज

हार्दिक पटेल हिरासत में, समर्थकों पर लाठीचार्ज

पाटीदार समाज को आरक्षण दिलाने के लिए अहमदाबाद में हुई हार्दिक पटेल की रैली शाम होते-होते पुलिस के साथ हिंसक झड़पों में तब्‍दील हो गई है। पुलिस ने हार्दिक पटेल को हिरासत में ले लिया है। उनके समर्थकों को मैदान से हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
'आरक्षण नहीं तो कमल उखाड़ देंगे, नीतीश भी हमारे'

'आरक्षण नहीं तो कमल उखाड़ देंगे, नीतीश भी हमारे'

अहमदाबाद में विशाल रैली बुलाकर हार्दिक पटेल में अपना लोहा मनवा लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्‍य की भाजपा सरकार को चुनौती देते हुए उन्‍होंने कहा है कि मांग नहीं मानी तो दोबारा कमल नहीं खिलेगा। यह रैली भले ही आरक्षण की मांग को लेकर हुई लेकिन हार्दिक पटेल के तेवर पूरी तरह सियासी दिखे। उन्‍होंने मंच से केजरीवाल, नीतीश कुमार और सरदार पटेल का नाम लेकर अपनी राजनैतिक महत्‍वाकांक्षाओं की झलक दिखाई है।
अब संघ सुलझाएगा गुजरात में ओबीसी विवाद

अब संघ सुलझाएगा गुजरात में ओबीसी विवाद

गुजरात में ओबीसी कोटे को लेकर बढ़ते विवाद को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस ने कमान संभालने का फैसला किया है। संघ ने भाजपा की गुजरात सरकार के साथ एक बैठक में पटेल समुदाय के आरक्षण आंदोलन को सुलझाने के लिए प्रयास करने फैसला का किया है।
25 साल बाद मंडल-2 की  बड़ी चुनौती

25 साल बाद मंडल-2 की बड़ी चुनौती

1990 में जब प्रधानमंत्री विश्वनाथ सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशाें को लागू करने का कदम उठाया तो उस समय पूरी सियासत ही गरमा गई। जगह-जगह वीपी सिंह के पुतले फूकें जा रहे थे और उनकी सरकार भी गिरा दी गई। पच्चीस साल बाद भी मंडल आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं। मंडल आयोग की रिपोर्ट में 13 अनुशंसाएं की गई थीं लेकिन दो ही अनुशंसाएं लागू हो पाईं।
पिछड़े वर्ग के आरक्षण के 25 सालः 'लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई'

पिछड़े वर्ग के आरक्षण के 25 सालः 'लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई'

मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू होने के पच्चीस साल पूरे होने पर आरक्षित कौमों को बधाई देता हूं। साथ ही मैं सुप्रीम कोर्ट का भी शुक्रगुजार हूं कि आरक्षण को लेकर कई तरह की बाधाएं पैदा हुई लेकिन हर बात जीत हमारी हुई। जिस दिन मंडल कमीशन लागू किए जाने की घोषणा हुई उस दिन से लेकर आज-तक लगातार किसी न किसी कारण से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जाती रही है। लेकिन इसमें जीत हमेशा आरक्षित कौमों की हुई।
आजादी विशेष / दलितों के लिए कानून हैं, अमल नहीं

आजादी विशेष / दलितों के लिए कानून हैं, अमल नहीं

भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के उत्थान के लिए संविधान में कई अनुच्छेद बड़ी सतर्कता से शामिल किए। इन अनुच्छेदों में समाज में दलितों को समान दर्जा, अस्पृश्यता उन्मूलन और उनके प्रति भेदभाव मिटाने के प्रावधान, सबके लिए मौलिक अधिकारों के प्रावधान, समान न्यायिक सुरक्षा, मताधिकार और शिक्षा, रोजगार, पदोन्नति में आरक्षण, तरक्की तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व के प्रावधान रखे गए।
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