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सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री के सामने उठा जेएनयू मामला

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री के सामने उठा जेएनयू मामला

जेएनयू मुद्दे पर उठे विवाद की ध्वनि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी सुनाई दी। बैठक में विपक्षी दलों ने गिरफ्तार छात्र नेता पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने के खिलाफ विचार व्यक्त किया। दूसरी तरफ सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों द्वारा की गई नारेबाजी अत्यंत आपत्तिजनक है।
हड़ताल में शामिल हुए जेएनयू शिक्षक, रोज लेंगे राष्ट्रवाद पर क्लास

हड़ताल में शामिल हुए जेएनयू शिक्षक, रोज लेंगे राष्ट्रवाद पर क्लास

देशद्रोह के मामले में जेएनयू छात्र संघ की गिरफ्तारी के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बुलाई गई हड़ताल में विश्वविद्यालय के शिक्षक भी शामिल हो गए हैं। शिक्षकों ने कहा कि वे विश्वविद्यालय लॉन में रोजाना राष्ट्रवाद पर कक्षाएं लेंगे।
जेएनयू मामला: एनआईए जांच की मांग वाली याचिका खारिज

जेएनयू मामला: एनआईए जांच की मांग वाली याचिका खारिज

जेएनयू देशद्रोह मामले में एनआईए जांच की मांग वाली एक याचिका को मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। न्यायालय ने याचिका को समय से पूर्व दायर बताते हुए खारिज किया।
जेएनयू छात्र हड़ताल पर, कन्हैया की अदालत में पेशी आज

जेएनयू छात्र हड़ताल पर, कन्हैया की अदालत में पेशी आज

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की देशद्रोह के आरोप में की गई गिरफ्तारी के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्र हड़ताल पर चले गए हैं। छात्रों का कहना है कि कन्हैया की रिहाई होने तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी।
राजनाथ का दावा-जेएनयू प्रदर्शन को हाफिज सईद का समर्थन, विपक्ष ने मांगे सबूत

राजनाथ का दावा-जेएनयू प्रदर्शन को हाफिज सईद का समर्थन, विपक्ष ने मांगे सबूत

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यह दावा कर राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया कि जेएनयू में पिछले दिनों संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विरोध में हुए कार्यक्रम को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का समर्थन मिला था। राजनाथ के बयान के तुरंत बाद विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि गृह मंत्री जेएनयू परिसर में हुए कार्यक्रम को लेकर किए गए अपने दावे को साबित करने के लिए सबूत दें।
‘क्योंकि मेरा नाम मोहम्मद आमिर खान है’

‘क्योंकि मेरा नाम मोहम्मद आमिर खान है’

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार से कहा है कि क्यों न आतंकवाद के झूठे आरोपों में वर्षों जेल काटने वाले मोहम्मद आमिर खान को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाए? आयोग की इस सिफारिश से एक दफा फिर आमिर का मामला सुर्खियों में आ गया है। बम धमाकों के झूठे आरोप में 14 साल जेल में रहने के बाद बेशक आमिर आज आजाद आबो-हवा में सांस ले रहा है लेकिन इन 14 सालों ने उसकी जिंदगी बदल दी। उसका कहना है कि उसने इन सालों में जो खोया है,पांच लाख तो क्या पांच करोड़ भी उसकी भरपाई नहीं कर पाएंगे लेकिन फिर भी वह मानवाधिकार आयोग का शुक्रिया करता है जिसकी इस सिफारिश ने इस बहस को हवा दी कि आतंकवाद के झूठे आरोप में जेल से रिहा होने के बाद सरकार की जिम्मेदारी है कि वह व्यक्ति का पुनर्वास करे। आमिर का यह भी कहना है कि बेकसूर रहते हुए भी उसने और उसके परिवार ने 14 साल सजा काटी क्योंकि उसका नाम मोहम्मद आमिर खान है।
हार्दिक को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, फिलहाल जेल में रहेंगे

हार्दिक को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, फिलहाल जेल में रहेंगे

देशद्रोह के आरोपों से घिरे आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत याचिका पर मामले की जांच पूरी होने के बाद विचार किया जाएगा। सर्वोच्‍च अदालत ने गुजरात पुलिस को जांच पूरी करने के लिए डेढ़ महीने का समय दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना चार्जशीट दाखिल नहीं होगी।
हार्दिक के खिलाफ प्रथम दृष्टया देशद्रोह का मामला: हाईकोर्ट

हार्दिक के खिलाफ प्रथम दृष्टया देशद्रोह का मामला: हाईकोर्ट

गुजरात उच्च न्यायालय ने पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ सूरत में दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इंकार करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया देशद्रोह का मामला बनता है। हालांकि अदालत ने प्राथमिकी से भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए यानी दो समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करना के आरोप को हटाने के आदेश दिए हैं।
हार्दिक पटेल पर देशद्रोह का मामला दर्ज

हार्दिक पटेल पर देशद्रोह का मामला दर्ज

पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की ओर से अपने समुदाय के युवकों को आत्महत्या करने के बजाय पुलिसकर्मियों को मारने के लिए कथित तौर पर उकसाने को लेकर आज उनके खिलाफ गुजरात पुलिस ने देशद्रोह के आरोप के तहत मामला दर्ज लिया है।
आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

आजादी विशेष | विचारों की स्वतंत्रता पर बंदिश की भाषा

राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सत्ता क्रम को नियंत्रित करने वाले वर्गों, समूहों, समुदायों और संस्थाओं के इस्तेमाल की भाषा में उनके वर्चस्ववादी पूर्वग्रहों के शब्द-संकेत देखे और व्याख्यायित किए जा सकते हैं। भारत की आजादी के 68 वर्ष बीतने पर हमारे राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के चालू विमर्श में हम ऐसे दो चलताऊ जुमलों की निशानदेही करना चाहेंगे जिनके निहितार्थ हमारी स्वतंत्रता सीमित करने के संदर्भ में गंभीर हैं।
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