विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने गठबंधन के सहारे मैदान में उतरने का मन बना लिया है। आज लखनऊ में वे पार्टी नेताओं के साथ समीक्षा बैठक कर रही हैं। इस बैठक में गठबंधन को लेकर पार्टी की भावी रणनीति की दिशा तय हो सकती है।
यूपी चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की कवायद तेज हो गई है। यूपी के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसी के तहत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने के बाद अब बसपा अध्यक्ष मायावती से मुलाकात की है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सर्वेसर्वा मायावती ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने की घोषणा की। साथ ही कहा कि वे भाजपा को रोकने के लिए किसी भी दल से हाथ मिलाने को तैयार हैं।
यह बसपा प्रमुख मायावती के राज में हुआ ऐसा कथित घोटाला है, जिसे लोग पहले दिन से ही घोटाला मानते हैं। लेकिन साबित आज तक नहीं हो पाया। इस मामले में मायावती के साथ-साथ अखिलेश यादव पर भी शिकंजा कसना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2010-11 में मायावती शासन के दौरान राज्य की 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुए 1100 करोड रुपये के घोटाले की जांच के निर्देश दिये हैं। प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि आवश्यकता पड़ने पर मामले की सीबीआई जांच भी करायी जाएगी।
यूपी विधानसभा में करारी हार झेल रही बसपा सुप्रीमो मायावती को आगामी दिनों में और झटके लग सकते हैं। मीडिया में खबर है कि लोकसभा और विधानसभा में पार्टी को मिली हार से खिजियाए कुछ असंतुष्ट नेता 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर एक अलग राजनीतिक मंच बना सकते हैं।
बसपा नेता मायावती ने भाजपा को दोबारा चुनौती दी कि अगर उसे उत्तर प्रदेश में जनता से जनादेश प्राप्त करने का पूरा भरोसा है तो वह राज्य में मतपत्रों का उपयोग करते हुए विधानसभा चुनाव कराए। साथ ही बसपा प्रमुख ने चुनावों में ईवीएम का उपयोग खत्म करने के लिए एक कानून बनाए जाने की मांग भी की।
ईवीएम में छेड़छाड़ करने के बसपा सुप्रीमो मायावती के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने उनसे गरिमापूर्ण ढंग से जनादेश को स्वीकार करने को कहा और जोर देते हुए कहा कि ईवीएम में दोष नहीं है, दोष आपके भीतर है।