Advertisement

Search Result : " Tribal Solidarity March "

मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक एक हुजूम नारे लगाता चल रहा है। इसे सोशल मीडिया ने कलबुर्गी-पानसरे की हत्या के पक्ष में भी देखा। लेकिन वहां ‘राष्ट्रवादियों’ ‘संघियों’ और ‘भक्तों’ के अलावा भी कई लोग भारत के लिए आए थे।
परदेस में नरेंद्र मोदी के स्वागत और विरोध के तीखे स्वर

परदेस में नरेंद्र मोदी के स्वागत और विरोध के तीखे स्वर

भारत के जमीनी मुद्दों की गूंज प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं में सुनाई देने लगी है, ब्रिटेन की यात्रा में दोनों पक्षों की तैयारियां पूरी
नक्‍सलियों से भिड़ेगा नया सलवा जुडूम: छवींद्र कर्मा

नक्‍सलियों से भिड़ेगा नया सलवा जुडूम: छवींद्र कर्मा

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सरकारी समर्थन से आदिवासियों का हथियारबंद संघर्ष ‘सलवा जूडूम’ भले ही सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद बंद हो गया हो मगर इस अभियान की परिकल्पना और शुरुआत करने वाले कांग्रेसी नेता दिवंगत महेंद्र कर्मा के बेटे छबिंद्र कर्मा इस अभियान को फिर शुरू करने की तैयारी में हैं।
विदर्भ में राहुल गांधी की पदयात्रा, किसान राजनीति गरमाई

विदर्भ में राहुल गांधी की पदयात्रा, किसान राजनीति गरमाई

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र के अमरावती जिले में आज 15 किलोमीटर लंबी पदयात्रा शुरू की और इस दौरान वह उन किसानों के परिवारों से मिल रहे हैं जिन्होंने आत्महत्या की है।
‘कनहर’ पर कहरः पुलिस की गोली से छलनी आदिवासी

‘कनहर’ पर कहरः पुलिस की गोली से छलनी आदिवासी

सोनभद्र में 38 वर्षों से लंबित कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर डूब क्षेत्र के ग्रामीणों और जिला प्रशासन में खूनी संघर्ष। प्रशासन ने की परियोजना स्थल की नाकाबंदी। धरनारत ग्रामीणों पर हुई गोलीबारी की जांच करने पहुंचे स्वतंत्र जांच दल को परियोजना निर्माण समर्थकों ने दो घंटे तक बनाया बंधक।
निर्यात हिंदुत्व और जाति का

निर्यात हिंदुत्व और जाति का

जातिगत उत्पीडऩ और भेदभाव के खिलाफ मुखर होता दलित डायस्पोरा इससे चिंतित।भारतीय डायस्पोरा का यह दलित स्वर या दलित डायस्पोरा दुनिया के तमाम बड़े देशों में धीरे-धीरे मजबूत होता दिख रहा है। गैर दलित डायस्पोरा ने तो बड़ी तादाद में (सबने नहीं) अपनी राजनीति स्पष्ट कर दी है, अपना झुकाव स्पष्ट कर दिया है, दलित डायस्पोरा अभी उसके साथ खड़ा नहीं दिख रहा। भारत की नई सरकार से उसे भी अपेक्षाएं हैं। वह भी बेहतर सुविधाओं और व्यापार की संभावनाओं के प्रति आशावान है लेकिन जाति तथा जातिगत उत्पीडऩ के सवाल पर फिलहाल कोई समझौता करता नहीं दिखता।
Advertisement
Advertisement
Advertisement